कोरोनावायरस महामारी ने देश में अगर किसी पर सबसे ज़्यादा कहर ढाया है तो वो हैं प्रवासी मज़दूर। अपने घर पहुंचने की आस में कुछ मज़दूरों ने रोड पर जान गंवाई, कुछ ने रेल ट्रैक पर और अब कुछ ट्रेनों में दम तोड़ रहे हैं। इसका संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों को आदेश जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि प्रवासी मज़दूरों की पहचान कर उन्हें 15 दिनों के अंदर उनके घर भेज दिया जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आज राज्यों से कहा कि प्रवासियों के खिलाफ घर लौटने के क्रम में लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन को लेकर दर्ज सभी मुकदमों को वापस लेने पर विचार किया जाए।
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अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उन प्रवासी मज़दूरों की पूरी सूची तैयार करें जो अपने गृह राज्यों तक पहुँच चुके हैं और उन कार्यों का ब्यौरा तैयार करें जिसमें वे लॉकडाउन से पहले लगे हुए थे। इसके साथ ही राज्यों और केंद्र को लॉकडाउन के बाद प्रवासी मज़दूरों के लिए रोजगार के लिए योजनाओं को बनाने के लिए भी कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेलवे को राज्यों की ज़रूरत के अनुसार उन्हे 24 घंटे के भीतर अतिरिक्त विशेष ट्रेनें प्रदान करनी होगी जिससे प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में वापस भेजा जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने आज सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे 8 जुलाई तक प्रवासियों के लिए योजनाओं और उनके रोजगार सृजन पर हलफनामा प्रस्तुत करें।
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