हम उस दौर के क्रिकेट प्रेमी हैं जब विश्व में मैथ्यू हैडन, सौरव गांगुली, सहवाग, इंजमाम उल हक, जैक कैलिस, जयसूर्या जैसे दिग्गज बल्लेबाज किसी भी गेंदबाज पर कहर बरपाने के लिए जाने जाते थे और शॉन पॉलक, चामिंडा वास, शोएब अख्तर, मेग्रा, एंटिनी जैसे गेंदबाज विकेट लेने से ज्यादा बल्लेबाजों के हाथ-पैर तोड़ने के लिए मशहूर हुआ करते थे।
उस समय में आज की तरह ज्यादा प्रयोग नहीं होते थे। टीम में एकाध खिलाड़ी ही इधर-उधर होते थे और किसी नए खिलाड़ी के लिए टीम में जगह बना पाना आसान नहीं था।
2005 में पाकिस्तान की टीम भारत खेलने आयी थी। सचिन और गांगुली सस्ते में निपट चुके थे। सहवाग को दूसरी छोर पर साथ देने वाला एक भरोसेमंद खिलाड़ी चाहिए था। गांगुली ने दांव खेला और एक नए खिलाड़ी को भेज दिया रज्जाक, सामी और अफरीदी जैसे शातिर गेंदबाजों के सामने बलि चढ़ने। इसके पहले वह कुछ खास नहीं कर पाया था और यह मैच उस खिलाड़ी के आगे का भविष्य तय करने वाला था।
उसने इस मौके को पूरी तरह भुनाया। न सिर्फ सहवाग का साथ दिया बल्कि पाकिस्तानी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुए 148 रन बना डाले जो किसी विकेटकीपर बल्लेबाज द्वारा बनाया हुआ सर्वाधिक रन का रिकॉर्ड था।
उसके बाद श्रीलंका के खिलाफ 183 रनों की आतिशी पारी खेलकर उसने अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया। ये दिन उसके करियर के लिए टर्निंग पॉइंट था जिसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक के बाद एक विश्व कीर्तिमान अपने नाम करते गया।
रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड कायम करने वाला यह खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि यह वही खिलाड़ी है जिसे 'हेलीकॉप्टर शॉट' का जन्मदाता माना जाता है। यह खिलाड़ी है- 'महेंद्र सिंह धोनी' जिसे हम प्यार से 'माही' पुकारते हैं।
आज माही का 39वां जन्मदिन है। कड़क मिज़ाजी की पूरी टीम की ओर से माही को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएं, आप हमेशा ऊर्जावान रहें और खेल से आपका जीवन हमेशा जुड़ा रहे।
धोनी उन खिलाड़ियों में से हैं जो कभी हार पर खीजते नहीं हैं और न जीत पर अतिउत्साहित होते हैं। धोनी प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं। कप्तान बनने के बाद उन्होंने कभी 9वें नंबर के गेंदबाज को तीसरे नम्बर पर बैटिंग करने उतार दिया तो कभी रैना जैसे कम अनुभवी गेंदबाज से भी फुल टाइम गेंदबाजी करवा ली।
वर्ष 2007 में आयोजित वर्ल्ड टी ट्वेंटी को कौन भूल सकता है, अंतिम ओवर में जोगिंदर शर्मा के हाथ में गेंद नहीं ट्रॉफी ही दे दी थी धोनी ने और नतीजा तो सबको मालूम है। 2011 विश्व कप में जब सचिन-सहवाग जल्दी वापस गए तब भी धोनी 'कैप्टन कूल' वाली भूमिका में नजर आए और फिर 91 रनों की शानदार पारी खेलकर 28 सालों बाद विश्व कप भारत की झोली में डाल दी।न्यूजीलैंड समेत कई देशों में जहां भारत एक अदद मैच जीतने के लिए संघर्ष करता था, वहां उन्ही की धरती पर सीरिज जीतकर अपनी प्रतिभा और कुशल नेतृत्व का परिचय दिया है धोनी ने।
माही के संघर्ष की कहानी को फिल्मी पर्दे पर नीरज पांडे ने उतारा और सुशांत सिंह राजपूत ने धोनी के किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया था। फ़िल्म ने 200 करोड़ से ज्यादा का कारोबार भी किया।
माही अब मैदान पर बहुत कम दिखते हैं। कुछ आलोचक उनकी उम्र को लेकर टिपण्णी करते हैं तो कुछ उनकी स्लो होती परफॉरमेंस पर। लेकिन ये वही माही है जिसकी बदौलत टीम इंडिया ने हर फॉर्मेट में सबसे ऊंचा स्थान हासिल किया। यह वही धोनी है जिसने अश्विन, जडेजा, दीपक चाहर जैसे बेहतरीन खिलाड़ी को तराशा और अब भी वह काम जारी है।
धोनी जबतक कप्तान रहे, टीम की हर एक हार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और जीत का श्रेय साथी खिलाड़ियों को दिया। धोनी विपक्षी टीम से भी हमेशा मुस्कुरा कर बात किया करते हैं क्योंकि वो उन्हें कभी दुश्मन नहीं समझते।
वर्तमान में भले ही कोहली, डिविलियर्स, गेल जैसे बल्लेबाज विस्फोटकों की गिनती में आते हों लेकिन माही का अंदाज मुझे आज भी वैसा ही लगता है जैसा उनके शुरुआती दिनों में था। 'धोनी का हेलीकॉप्टर' तब उड़ता था जब सामने अख्तर, ब्रेट ली जैसे गेंदबाज होते थे और उस समय छक्के मरना इतना आसान भी न था। वो '07 नम्बर की जर्सी 'आज भी जब मैदान पर दिखती है तो वही जोश पैदा करती है जो 15 साल पहले थी।
आप भले ही धोनी के प्रशंसक हों या बहुत बड़े आलोचक, आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि आज भारतीय क्रिकेट टीम जिस बहुमंजिला इमारत के रूप में उभरी है, धोनी उस इमारत के एक मजबूत स्तम्भ हैं।
जाते-जाते - "थैंक यू माही फ़ॉर अ वंडरफुल एरा, यू विल ऑलवेज बी मिस्ड"
(-कड़क मिजाज, आलोक चटर्जी)
HBD Mahi Always Love You
ReplyDeleteIf you love cricket, you can never hate MSD. Sonu Raj Muzaffarnagar up
ReplyDeleteThala is great
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