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Tuesday, June 12, 2018

कुछ ऐसा प्रेम करूँगा तुमसे


आज से हज़ारों साल बाद जब ये सभ्यता नष्ट हो चुकी होगी, जब ये पृथ्वी राख के ढेर में बदल चुकी होगी, पहाड़ टुकड़ों में टूटकर जहां तहाँ पड़े होंगे, जंगल सूख कर जड़ों में सिमट चुके होंगे, समंदर सूख कर विशाल खड्डे बना रहे होंगे, हर तरफ एक वीरान सा मंजर नजर आ रहा होगा। मानव जीवन के लिए किसी दूसरे दुनिया में पलायन कर चुका होगा, जहां पनप चुकी होगी एक नई सभ्यता, एक नयी मानव श्रृंखला, एक नयी ऊर्जा और एक नयी तकनीक से विकसित, इस दुनिया से अनजान रह रहे होंगे वो लोग खुशी खुशी अपनी दुनिया में।

तब एक दिन उस दुनिया से कुछ सरफिरे निकलेंगे अपने वजूद की तलाश में, ढूंढते ढूंढते आ जाएंगे इस धरती पर, खोजने लगेंगे अपने वजूद को इस राख के ढेर में, खोद डालेंगे पूरी धरती, खोदते खोदते जब वो पहुंच जाएंगे मारियाना ट्रंच की असीम गहराइयों में, वहां खुदाई के दौरान मिलेगा उनको एक बैग, जिसमें मिलेंगे कुछ अवशेष, मेरे तुम्हारी मोहब्बत के, उस बैग में होगी एक कहानी की 'डायरी' और एक 'आखिरी तस्वीर'। जिसे वो ले जाएंगे अपने ग्रह पर, जहां कुछ वर्षों के मेहनत के बाद डिकोड कर ली जायेगी मेरी भाषा। 

समझ लेगा एक एक शब्द लिखा हुआ उस डायरी में, पढ़ लेगा उस अधूरी मोहब्बत की कहानी को जो लिखी होगी उस डायरी में, महसूस कर लेगा उस दर्द को जो इस जहां में हम बयाँ न कर पाए और टांग देगा मेरी और तुम्हारी खिलखिलाकर हंसती हुई उस आखिरी तस्वीर को किसी म्यूजियम के बड़े से हाल में, जो हमने कयामत के रोज खींची थी मारियाना ट्रंच के ऊपर उस भयानक तूफान में।

शायद इस जहां में न सही उस जहां में मोहब्बत को उसके मायने मिल जाएंगे और मेरी और तुम्हारी मोहब्बत उस जहां में अमर हो जाएगी जो इस जहां में न हो पाई।
कितना  हसीन मंज़र होगा जब मेरी और तुम्हारी उस हंसती हुई तस्वीर को देखकर एक जोड़ा आपस में "आई लव यू" बोल रहा होगा।
बस कुछ ऐसा इज़हार करूँगा तुमसे किसी कयामत के रोज।

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