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Monday, February 19, 2018

दास्तान-ए-रेडियो

 


आज हजारो गानों की प्लेलिस्ट मोबाइल में पड़े सड़ रही पर क्या दिल के तार झनझनाते है। गाँव में रेडियो पर आ रहा प्रोग्राम, मानो दिल खुश कर देता था। कार्यक्रम कुछ यूँ होत थे- विविध भारती के सखी-सहेली कार्यक्रम में आज पहला खत आया है यूपी के जौनपुर ज़िले के समसपुर गाव से, हमें खत लिखा है- भैसों का चारा काटते मिंटू, घर का बर्तन धोती बबिता, भैंस की नाद लगाता खंझटी, खटिया पे बैठे पैर खजुवाते फूलन बाबा और सेरई सिंह ने। लिखते है कि आपलोग हमेसा दिल के करीब रहते है। लगता है कि जिंदगी में कुछ दूर के दोस्त भी है। गीत सुनना चाहते है फिल्म दिल एक् मंदिर का, गीतकार हैं "हसरत जयपुरी", संगीत है "शंकर जयकिशन" का और गीत को आवाज दी है "लता मंगेशकर" ने।



तब दुसरो की फरमाइश पे दूसरे भी वाह करते थे। घर से शहर आया परीक्षा की तैयारी करता युवक और ईंट भट्टे पे सांचे में ईंट ढालता मजदूर दोनों ही हाथ भर लंबे एंटीने में विविध भारती पकड़ाये एक दूसरे से रूबरू होते थे। कुछ एंटीने के शहीद हो जाने पे हरे, लाल, पीले वायर से ही काम चलता थे।  आज तो हम कट गए है। एकाकी जीवन में 1 जीबी भी वो खुशी न दे पा रहा है जो घर में एक रेडियो पूरे घर को देता था।



आपकी भी कुछ ऐसी ही रेडियो से जुडी यादें हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करें।

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