आज बचपन की यादें ताजा हो गई ,कुछ बच्चों से मिला जो मिटटी के खिलौने बना रहे थे बस मैंने अपनी आदत के अनुसार उनसे बात की और वो ऐसे घुलमिल गये जैसे मुद्दतों से मै उनके साथ ही खेलता रहा हूँ । वीडियो गेम और मोबाईल में कैंडी क्रश खेलने वाले क्या जाने मिटटी की बनी बैलगाडी में क्या आनंद आता था सारा दिन मिटटी की गुड़िया बनाना और उसकी शादी फिर चूल्हा बनाकर छोटी छोटी रोटियां बनना क्या वो सुख आज के बच्चों को मिल पाता है।
जाने कहाँ वो बचपन गायब सा हो गया है, आज बच्चे तो दिख जाते है पर शायद बचपना गायब हो गया है ,हम लोग बच्चों को कितना प्रेसराइज करते है। मिटटी में यदि खेल लिया तो उसकी शामत ही आ गई। ये तुम्हारा परसेंट इतना कम कैसे आ गया.. बच्चा अपनी मासूमियत भूल कर हमारे सपने पूरे करने में जुट जाता है ,और उसके सपने...जाने दो वो क्या जाने सपने क्या होते हैं।
आज जीता जागता बचपन मिल गया सोंचा क्यों न इनके साथ कुछ पल बिता लिए जाएँ ,क्या आपने कभी खेला है अपनी मिटटी की खुश्बू से जुड़े खेलों को। वो बैलगाड़ी बनाना, वो चूल्हा फिर छोटी छोटी रोटियां सारा दिन इसी में बीत जाता था। सचमुच क्या दिन थे सोचता हूं तो मन सिहर जाता है।
बस आपसे शेयर करने को मन किया, यदि आपके बचपन की कोई यादें हों तो अवश्य ताज़ी करें। क्योंकि जनाब दिल तो अभी भी बच्चा हैं।
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