महिला दिवस पर एक खत महिलाओं के लिए। - KADAK MIJAJI

KADAK MIJAJI

पढ़िए वो, जो आपके लिए है जरूरी

Breaking

Home Top Ad

Thursday, March 8, 2018

महिला दिवस पर एक खत महिलाओं के लिए।



हैलो आधी आबादी
सलाम
           आज फिर एक खबर पढ़ा अखबार में ,और फिर उस पर लोगों की भद्दी टिप्पणीयाँ। कुछ लोगों ने गुस्सा भी दिखाया और फाँसी की मांग कर डाली। अखबार हाथ में पकड़े ही मैं सोचने लगा की कोई ऐसा कैसे कर सकता है? समझ में ये आया कि बलात्कार और उस पर ये भद्दी प्रतिक्रियाएँ ,बिमारी नहीं है। ये तो बिमारी के लक्षण हैं। सबसे भयानक वाले। बिमारी तो कुछ और ही है।तभी तुम्हे ख़त लिखने का ख़याल आया। क्यूंकि इस सवाल का जवाब तो तुम भी ढूँढ रही होगी।

              अभी तुम खाना बना रही होगी ,मुस्कुराते हुए ये सोचकर कि कॉलेज के फंक्शन में तुम्हारे गाने पर पूरा हॉल तालियों से कैसे गूंज गया था। या तुम ऑफिस में बैठे भन्ना रही होगी कि तुम्हे सिर्फ इस बात पर प्रोजेक्ट नहीं मिला कि तुम औरत हो। शर्ट खरीद रही होगी भाई के लिए ताकि वो तुम्हे टूर पर जाने की परमिशन दिलाने में हेल्प करे। बहाने सोच रही होगी, जो घरवालों से कहकर जा सको अपने बॉयफ्रेंड से मिलने । ताकि उसके बॉस की डांट का गुस्सा तुम पर न निकले। मिठाई बना रही होगी बेटे के लिए कि पता नहीं फिर कब लौटेगा, मिठाई खायेगा तो याद कर शायद फोन कर लेगा।

             इस वजह से हो सकता है तुम इतना लम्बा ख़त ना पढ़ पाओ। सो कोई बात नहीं जब समय मिले तब पढ़ लेना। वैसे भी बहुत ज़िम्मेदारियाँ हैं तुम पर।

                 दरअसल ये हमने ही तय किया है कि ज़िम्मेदारियाँ जयादातर तुम्हारी रहेंगी और अधिकार जयादातर हमारे। ये भी हमने ही तय किया है कि तुम अपनी जिंदगी कैसे जियोगी। तुम क्या पहनोगी, कहाँ जाओगी, कैसे बात करोगी, किससे बात करोगी। मोबाइल से लेकर करियर तक तुम्हारे लिए हम तय करते हैं। और तो और तुम्हारी जिंदगी पर भी हमारा अधिकार है।

             पर अधिकार, इंसान पर? एक ज़िंदा शरीर पर? पर तुम्हे हम इंसान मानते ही कहाँ हैं। तुम तो एक साधन हो हमारी जिंदगी को आसान बनाने का। इसीलिए तुम्हारा महत्व तुम्हारी उपयोगिता और आज्ञाकारिता से तय करते हैं हम। और शायद इसीलिए हम तुम्हारे पहरेदार बन जाते हैं । तुम्हे नियमों में बांधकर । और बचाने का नाटक करते हैं हम, हमारे ही उस किरदार से जो तुम्हे महज एक देह समझता है । जिसकी कोई आत्मा या मन नहीं होता। बिलकुल एक वस्तु की तरह।

                 पर तुम ये सब क्यूँ मानती हो? क्यूंकि जब तुम ये सब मानती हो तो हम तुम्हारी तारीफ़ करते हैं। तुम्हारा ख़याल रखते हैं। तुम्हे देवी कहते हैं। तुम इन सबसे खुश हो जाती हो। बहुत भोली हो तुम। तुम ये नहीं समझ पाती कि इतने से दिखावे के सहारे हम तुम्हारे लिए दायरा तय कर देते हैं। जिससे बाहर नहीं जाना है तुम्हे। तुम्हारे आचरण के नियम तय कर देते हैं । जिनसे हमारी प्रभुता बनी रहे।पर तुम भी क्या करो। जब तुम ये सब मानने से मना करती हो या थोड़ा भी अपने हक की बात करती हो । तो हम तुमसे नाराज़ हो जाते हैं। तुम्हे हमारे गुस्से का सामना करना पड़ता है, कई तरह से।तब तुम हमारे लिए देवी से कुलनाशनी हो जाती हो।और तुम हिम्मत नहीं कर पाती इन सब का सामना करने की। ये तरीका हम हर रिश्ते कि आड़ में अपनाते हैं, पिता, भाई, दोस्त, प्रेमी, पति, बॉस, सहकर्मी या समाज के हिस्से के तौर पर। और हममें से जयादातर वो लोग ये करते हैं जिनमें असुरक्षा की भावना होती है। पितृसत्ता छीन जाने की। एसा करके वो उनकी मर्दानगी का पुष्टिकरण करते रहते हैं।

              पता नहीं तुम कभी हिम्मत कर भी पाओगी या नहीं। पर कोशिश करना। कोशिश करना तारीफों के जाल में नहीं फसने की।कोशिश करना अगली बार जब कोई तुम्हे कुलनाशनी कहे, तो कहने की, कि “माइंड योर ओन बिज़नेस”। कम से कम समझाने की कोशिश करना धीरे से ,शायद समझ जाए। नहीं तो फिर से कोशिश करना। कोशिश करना तुम्हे घूरने या छूने वाले को चुपचाप नहीं सहन करने की। जानता हूँ बहुत मुश्किल है ,वो भी ये जानते हुए कि बहुत लोग साथ नहीं होंगे तुम्हारे।

                    पर मैं तुम्हारे साथ रहूँगा वादा करता हूँ। माँ, बहन, दोस्त, प्रेमिका, पत्नी, बेटी या इनमे से किसी नाम से तय नहीं होने वाले रिश्ते के रूप में । तुम्हे हिम्मत करते देखूंगा तो तुम्हारा साथ दूंगा। तुम्हारे पहरेदार या सहारे के तौर पर नहीं। जानता हूँ तुम्हे उसकी जरूरत नहीं है । तुम बहुत मजबूत हो, पर तुम्हारे साथी के रूप में, कि जब तुम हार मानने लगो तो फिर कोशिश करने कि हिम्मत दे सकूँ। और जब तुम जीत जाओ तो तुम्हारे जश्न में शामिल हो सकूँ।

                एक वादा तुम्हे भी करना होगा कि तुम किसी भी तरह से दूसरी औरत के शोषण का कारण नहीं बनोगी। तुम अक्सर ऐसा कर बैठती हो किसी रिश्ते की मर्दवादी धौंस पूरा करवाने में। वादा करो की जिन्दगी का मकसद हर कदम किसी पुरुष को खुश करने को नहीं बनाओगी।

            आखिर में एक छोटा वादा और। अबकी बार घर आऊंगा तो चाय मैं बनाऊंगा, और सब्जी भी। तुम रोकना मत। क्योंकि तुम सिर्फ 'काम' के लिए नही हो।

No comments:

Post a Comment

आपको यह कैसा लगा? अपनी टिप्पणी या सुझाव अवश्य दीजिए।

Post Bottom Ad

Pages