बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एक प्रोफैसर इस तरह के ईमेल के चक्कर में फंस गए कि उन्हें एक बेऔलाद जरमन ने अपना वारिस चुना है। बस, उन्हें अपना अकाउंट नंबर देना है, पासपोर्ट की कौपी देनी है, 2-4 दस्तावेज देने हैं और पैसा उन्हें मिल जाएगा। अब जो लोग चमत्कारों में विश्वास करते हैं वे इस अवसर को कैसे हाथ से जाने दें। वे हां करते हैं तो पता चलता है कि उन्हें दूसरे किसी देश में एक वकील करना होगा जो कुछ सौ डौलर की फीस लेगा।
फीस दे दी गई तो नई मांग आ जाती है कि उन का लाखों डौलर का भुगतान तैयार है पर बैंक को पैसे संभालने के खर्च देने होंगे जो किसी अकाउंट नंबर में डालने हैं। इस प्रोफैसर ने 25 लाख रुपए इसी आशा में दे दिए कि वह तो करोड़ों का मालिक बनने वाला है। अंत में पता चला कि वह तो ठगा गया।
गुप्त खजाने की खोज की कहानियों के आधार पर यहां भी चालाक लोग पूजापाठ और यहां तक कि मासूम बच्चों की बलि तक करा डालते हैं। जो इस बात में विश्वास करते हैं कि पैसा टपकता है, कमाया नहीं जाता, वे आसानी से फंस जाते हैं।
चमत्कारों से कमाई नहीं होती, यह सिद्धांत हरेक को मालूम होना चाहिए। पैसा मेहनत का हो तो ही फलता है। हराम की या चोरी की कमाई कुछ लोग ही पचा सकते हैं, शरीफ तो बिलकुल नहीं। इसलिए शरीफों को इन चक्करों में पड़ने पर भारी नुकसान ही होता है।
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