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Monday, April 9, 2018

सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह की ओर।

 स्वच्छता में 1 रूपये का निवेश  देता है 4 रूपये 30 पैसे का रिटर्न - डॉ यास्मीन अली हक, कंटी हेड यूनिसेफ, इंडिया
चलो चंपारण सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह के संदर्भ में भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि डॉ यासमीन अली हक के साथ मीडिया संवाद


पटना, 9 अप्रैल, 2018
स्वच्छ और सुरक्षित शौचालय हर बच्चे का अधिकार है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण डायरिया है। खुले में शौच, के कारण बच्चे डायरिया के शिकार हो रहे है तथा यह बच्चों में कुपोषण के स्तर को भी बढ़ा रहा है। कुपोषण केवल बच्चों के शारीरिक क्षमता ही नहीं बल्कि बौद्धिक क्ष्मता को भी प्रभावित करता है। बच्चे अपने पूरी क्षमता का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं जिसका प्रभाव उनके सीखने की क्षमता पर भी पर रहा है। गौरतलब है कि बिहार में हर दुसरा बच्चा नाटापन (उम्र के अनुपात में कम लंबाई) का षिकार है। उक्त विचार भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि डॉ यास्मीन अली हक ने चलो चंपारण सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह के संदर्भ में आयोजित मीडिया संवाद के दौरान व्यक्त किए।


व्यवहार परिर्वतन पर बल देते हुए डॉ हक ने कहा कि शौचालय निर्माण से ज्यादा महत्वपूर्ण, लोगों को उसका प्रयोग और उसकी सफाई के प्रति जागरूक करना हैं और इसमें मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इस देष में हर व्यक्ति अपने लिए शौचालय बनाना और उसका प्रयोग करना चाहें, इसके लिए मीडिया को एक सकारात्मक मुहिम चलाने की जरूरत है। शौचालय के आर्थिक महत्व के बारे में बताते हुए उन्होनें कहा कि यूनिसेफ के एक सर्वेक्षण के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि यदि हर परिवार शौचालय बनाता और उसका प्रयोग करता है तो वह भारत में सालाना 50,000 रूपये बचा सकता है। यदि कोई स्वच्छता में 1 रूपये का निवेश करता है तो वो 4 रूपये 30 पैसे का रिटर्न देता हैं। शौचालय के बाद और खाने से पहले हाथ धोने की आदतों को अपनाकर हम काफी हद तक बच्चों के स्वास्थ्य को और बेहतर कर सकते हैं। चलो चंपारण पहल के तहत स्वच्छाग्रहियों के बारे में बताते हुए कहा कि डॉ हक ने कहा कि पूरे बिहार में देश्‍ के अलग-अलग हिस्सों से लगभग 10,000 स्चव्छाग्रही आएं हैं जो गांव-गांव जाकर शौचालय के बारे में समुदायों को जागरूक कर रहे है।

गया के एक गांव का उदाहरण देते हुए उन्होनें कहा कि वहां की एक 8 साल की बच्ची अपने गांव के लोगों को स्वच्छता के बारे में जागरूक कर रही हैं। जब मैनें उनसे पूछा की क्या लोग तुम्हारी बात मानते हैं तो उसने कहा कि मैं तो लोगों को प्यार से समझाती हुं। ऐसे बच्चे अपने घर में भी शौचालय बनवाने के लिए दबाव डालते हैं और यही बच्चे बड़े होने पर कॉलेज में भी स्वच्छता की बातों को जारी रखते हैं। गौरतलब है कि यूनिसेफ भारत की कंट्री हेड डॉ यासमीन अली हक और बिहार के चीफ असदुर रहमान  कल चंपारण सत्याग्रह के 100 वीं वर्षगाठ के समापन समारोह सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह कार्यक्रम में भाग लेंगें और स्वच्छाग्रहियों से संवाद करेंगें।
यूनिसेफ, इंडिया के वाश (वाटर, सैनिटेषन एंड हाईजिन) विशेषज्ञ सुजय मजूमदार  ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य खुले में शौच मुक्त समाज बनाना है। स्वच्छाग्रहियों की भूमिका के बारे में बताते हुए उन्होनें कहा कि भारत लगभग 6 लाख गांव है जिनमे से 4 लाख गावों में स्वच्छाग्रही हैं। ये स्वच्छाग्रही गांवों में जाकर ट्रीगरींग और सीएलटीएस के माध्यम से समुदाय को शौचालय के प्रयोग और निर्माण के लिए जागरूक करते हैं। स्वच्छ भारत मिषन के आंकड़ों के हवाले से उन्होनें कहा कि बिहार में पिछले 1 सप्ताह में काफी तेजी आई है। 8 अप्रैल 2018 को 1 लाख शौचालय बनाने का काम पुरा हुआ है।


यूनिसेफ, बिहार के चीफ असदुर रहमान ने कहा कि अब तक स्वच्छता आंदोलन में मीडिया की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। बिहार को खुले में शौच मुक्त करने के लिए अभियान में सहयोग देकर मीडियाकर्मी, मीडिया स्वच्छाग्रही बन सकते हैं। यूनिसेफ, लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान को तकनीकी सहयोग प्रदान करती है।  इसमें व्यवहार परिर्वतन के लिए संचार सामग्रियों का निर्माण भी शामिल है।
स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय योजना के बारे में बताते हुए प्रवीण मोरे ने कहा कि बिहार सरकार और यूनिसेफ के सहयोग से बिहार के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में 5 स्टार ग्रेडिग सिस्टम बनाया गया है। इसमें हर छात्र और षिक्षक सम्मिलित रूप से स्वयं आनॅनलाइन रेटिंग करते हैं और सरकार के एक वेवसाईट पर अपलोड करते हैं जिसके अनुसार उन विद्यालयों की रैंकिग की जाती है और बेहतर परफार्मेंष वाले स्कूलों को पुरस्कृत किया जाता है।
संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के स्वच्छाग्रही खुले में शौच मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। ये स्वच्छाग्रही ग्राम पंचायतों में काम कर रहे हैं और विशिष्ट रूप से स्वच्छता के लिए स्वेच्छा से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब बिहार में मीडिया स्वाग्राहीयों की बारी है, जो हर कहानियों के माध्यम से इस सामाजिक आंदोलन  और बिहार ओडीएफ बनाने में मदद करें।
कार्यक्रम के दौरान शहरों में शौचालय की स्थिति, स्कूल में शौचालय, घूमंतु आबादी आदि पर चर्चा की गई। इस अवसर पर  लगभग 20 मीडियाकर्मीयों के साथ ही यूनिसेफ बिहार के कार्यक्रम प्रबंधक, शिवेंद्र पांडया, ऑपरेशन मैनेजर विलियम नमो, और वाश अधिकारी राजीव कुमार भी उपस्थित थे।

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