उत्तराखंड में इसी समय लाखों पर्यटक व श्रद्वालु के कदम देवभूमि की ओर बढ़ रहे होते है। ज्यादातर लोगों के लिए यह यात्रा आस्था और विश्वास पर टिकी है। लोग यात्रा के दौरान चारों ओर की साफ-सुथरी व्यवस्था, स्वच्छ जल, पहाड, नदियां, लोक संस्कृति और स्थानीय खान-पान का भरपूर आनंद लेते हैं।
सुरक्षा के लिहाज से चारधाम यात्रा के हर मोड़ पर पुलिस तैनात है। इसके लिये पहले से अतिरिक्त 79 नई अस्थायी चौकियां बनाई गई हैं, जिनके माध्यम से यात्रियों को संवेदनशील स्थानों पर प्रवेश करने से पहले सावधान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस यात्रा सीजन में सड़क चौड़ीकरण का काम रोकने के निर्देश दिए हैं, ताकि यात्रा प्रभावित न हो।
पांच साल पहले जून 2013 में केदारनाथ में भीषण आपदा आई थी। इस बार भी भीषण आग ने पहाडों में फिसलन पैदा कर दी है। जंगलों में लगी भीषण आग के कारण मिट्टी और पत्थर को रोकने वाली झाडियों की कई प्रजातियां जल चुकी हैं। पेड़-पौधों के तने कमजोर हो गए हैं। ऐसे में थोड़ी बारिश होने पर पहाड़ों पर अटका मलबा आवागमन के रास्तों पर टूटकर आता है। जबकि इस तरह के ढालदार पहाड़ों पर यात्रा से पहले चैकडैम बनाकर इस मलबे को रोका जा सकता है।
संवेदनशील हिमालय में सड़क चौड़ीकरण के लिए जो बजट खर्च हो रहा है, उसका पहला उदेश्य यदि मार्गों पर डेंजर जोन को सुधारने का होता, तो यहां की सभी सड़कें कब की बारहमासी हो सकती थीं। चारधाम में बेतरतीब निर्माण और अंधाधुंध खनन कार्यों से भी कई स्थानों पर निर्माण की गलत तकनीक के उपयोग ने डेंजर जोन बनाए हैं।
केदारनाथ मार्ग पर रामपुर, सिली, सौडी, बांसवाडा, सेमी, कुंड, फाटा, बडासू आदि स्थानों पर लगातार संवेदनशील भूस्खलन क्षेत्र है। बद्रीनाथ मार्ग पर देवप्रयाग, सिरोहबगड़, नंदप्रयाग के पास मैठाणा, चमोली से पिपलकोटी के बीच दस किलोमीटर सड़क और बिरही, गुलाबकोटी, हेलंग, हाथी पहाड़, पाण्डुकेश्वर, गोविंदघाट, लामबगड़, विष्णुप्रयाग के आस-पास भी डेंजर जोन हैं।
इसी तरह गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग पर ऋषिकेश से चंबा और श्रीनगर के बीच कई स्थानों पर नए भूस्खलन क्षेत्र पैदा हो गए हैं। अधिकांशतः देखा गया है कि जब यात्रा सिर पर रहती है, तभी पर्यटकों व तीर्थयात्रियों की सुख-सुविधाओं की चिंता सताने लगती है। यदि साल भर सड़कों को चुस्त-दुरस्त रखा जाए, तो यात्रा चलती रहेगी। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज चाहते हैं कि चारधाम तक पैदल पहुंचने की पुरानी परंपरा जीवित हो। लेकिन पहाड़ में थोड़ी-सी दूरी के लिए भी लोग गाड़ी के लिए सड़कों पर घंटों खड़े रहते हैं।
फिर यात्रा सीजन में सड़कों पर चलने वाली भारी संख्या में गाड़ियों के रैले के बीच पैदल यात्री क्या सुरक्षित जा पाएगा? अभी यात्रा प्रारंभ होते ही अनेक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हर साल सड़क चौड़ी करो और मुनाफा कमाओ का एकमात्र उद्देश्य सामने आ रहा है। चार धाम के डेंजर जोन को सुधारने पर ध्यान दिया जाए, तो तस्वीर बदल सकती है।
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(-सम्पादक सुरेश भाई की के विचारों से प्रभावित )
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