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Wednesday, April 29, 2020

एक खत जो इरफान तक नहीं पहुंच पाया



हाय, हैलो, नमस्कार, अदाब समझ नहीं आ रहा आपको संबोधित कैसे करूं-इरफान क्योंकि आपके लिए पहला पत्र लिख रही हूं तो थोड़ा एक्साइटेड फील कर रही हूं।

पेश है आपके लिए मेरा ये चुलबुला खत। इच्छा थी कि कभी आपसे मिलकर इसे खुद आपको दूं। रंगीन लिफाफे में सादे कागज़ पर नीली स्याही से लिपटा खत, सोचते ही मन में गुदगुदी होने लगती थी कि आप कैसे रिएक्ट करोगे इसे पाकर। क्या आप वो 'कारवां' वाली मज़ेदार स्माइल दोगे या 'करीब-करीब सिंगल' वाली फ्लर्टियस स्माइल।उस वक्त आप 'पान सिंह तोमर' बन के माथे पर बंदूक भी तान देते तो मैं खुशी-खुशी गोली भी खा लेती।
     'लाइफ ऑफ पाए' के बाद आपका नाम बॉलीवुड में बहुत गूंजने लगा था, गूंज मेरे कानों तक भी पहुंची। फिल्म देखी और आपकी लाखों फैन्स में से एक बन गई। बड़ी अज़ीब फैन हूं क्योंकि शुरुआती एक साल तक मैं आपको इरफान पठान ही बुलाती रही। कोई टोकता तो कहती कि मेरा मन जो चाहे उनको बुलाऊं जो चाहे नाम रखूं जब फिल्मों में उनके हज़ारों नाम हो सकते हैं तो एक ये नाम क्यों नहीं। माना इरफान पठान क्रिकेटर का नाम है तो क्या हुआ इरफान भी तो इस रंगमंच और सिनेमाई दुनिया के क्रिकेटर ही हैं।
         जब कोई हीरो चॉकलेटी होता है तो निर्देशक उसकी पर्सनेल्टी के हिसाब से एक ही तरह के किरदार लिखता है पर जब कलाकार की शक्ल आम सी हो तो निर्देशक भी सोचता है कि थोड़ा एक्सपेरिमेंट किया जाए। किसी भी तरह का किरदार दे दो इस पर जम जाएगा शायद इसीलिए आपके हिस्से 'पिकू', 'पान सिंह तोमर', 'अंग्रेज़ी मीडियम' और 'लंचबॉक्स' जैसी फिल्में आई। मेरे दोस्त आपकी फिल्म देखकर महीनों तक आपके गुणगान करते रहते लेकिन मै मन और दिल को खाली कर लेती कि अभी अगला मास्टरपीस भी तो आना बाकि है। एक फिल्म रिलीज होने के बाद अगली फिल्म का इंतजार और एक्साइटमेंट कभी कम नहीं हुई। आज भी ये बरकरार है।
         आपको रिप्लेस कर किसी और की फैन बन जाऊं माथा खराब नहीं है मेरा। आपकी अगली फिल्म का इंतजार हमेशा रहेगा। आपका इंटरव्यू? अरे! वो तो मैं कई बार ले चुकी हूं। बस सामने से आपके जवाब नहीं आए। आपसे एक गुज़ारिश है कि जब भी मिलेंगे तब पहचानने से मना मत कीजिएगा। अगर मना कर भी देंगे तो अपनी लिखावट दिखाकर आपको अपनी याद दिलवा दूंगी। एक दरख्वास्त है कि मेरा ये खत संभाल कर रखिएगा बिलकुल वैसे ही जैसे आपकी यादें मैं संभाल कर रख रही हूं। मेरी जिंदगी के बक्से में इसका एक एक शब्द संभाल कर रखा रहेगा। पढ़कर जरूर सुनाऊंगी अगर कभी किसी दुनिया में मिलना हुआ तो। आपके कारवां का हिस्सा बनने की अभिलाषी हूं- 'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजि‍ल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।'
      
आपने जिंदगी काटी नहीं जी, इस बात की खुशी है
आपके नाम, मेरा पैगाम।।
नाम मिलकर आपको बताना चाहती हूं।।

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