बेहद दिलकश थी वो। बला की खूबसूरत। उसके नाखूनों पर सुनहरी रंग का मुल्लमा था। मानो सूरज अपनी सुनहली किरणें फैला रहा हो। फिर उसने अपने उन नाखूनों से अपने सर को खचर-2 खुजा कर कुछ निकाला था। ....... .दिल टूट गया था मेरा।
एक सुनहरी लट उसके कानों के पीछे से बार-बार आगे आ जाती थी। जिसे वो बार-2 हटाती थी। ऐसा करते वक़्त उसकी चूड़ियाँ मधुर संगीत उत्पन्न करती थीं। फिर मानो जैसे वह कुछ पिघलाना-तोड़ना चाहती हो। उसने अंगुली से अपने कान को ज़ोर-2 से हिलाया था। चूड़ियों ने कर्कश ध्वनि की थी। ......... दिल टूट गया था मेरा।
भोजनालय में वह ठीक मेरे सामने बैठी थी। बड़ी मासूमियत से उसने कहा था- हाफ शाही पनीर, एक लच्छा पराँठा। वह भोजन दुनिया का सबसे सुस्वादु भोजन लगा था मुझे। अपने होठों की लालिमा बचाते हुए वह एक-एक ग्रास ग्रहण कर रही थी। भोजनालय में समय थम गया था। फिर उसने पात्र से पानी ले कुड़-2 कर कुल्ला किया था। ....... दिल टूट गया था मेरा।
वह गौर वर्ण थी। रेल के डिब्बे में ठीक सामने बैठी थी वह। कभी-2 हमारी नज़रें मिल भी जाती थीं। उसके माथे पर एक छोटी सी लाल बिंदी ऐसे लगी थी जैसे केसर का फूल खिला हो। ये यात्रा एक यादगार यात्रा होने वाली थी। फिर उसने अपनी नाक में अंगुली डाल दी। ....... दिल टूट गया था मेरा।
लश्कारे मार रहा था उसका फुलकारी सूट। कोचिंग कक्षा में हम दोनों ने एक दूसरे को कनखियों से देखा था।शायद इतिहास की कक्षा थी वो। शाम को एक पार्क में मिले थे हम। कुछ देर के लिये वो पार्क चिनार पार्क बन गया था। एक बैंच पर हम दोनों ख़ामोश बैठे रहे। फिर उसने अपने दाँतों से अपने सारे नाखून चबा डाले। ....... दिल टूट गया था मेरा।
ख्वाबों को सच्चाई से टकराकर चूर होना ही होता है। 'पहली नज़र का प्यार' किसी व्यंग्यकार के दिमाग की उपज रही होगी। प्यार दिव्य नहीं, साधारण होता है। जिसे वात, पित्त, कफ के साथ स्वीकार करना पड़ता है। ......दिल टूट गया था मेरा।...
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