दोस्त जिसको दुनिया का सबसे बेहतरीन और वफादार रिश्ता माना जाता है। वास्तव में यह होता भी है। इस रिश्ते में दुविधा वहां पैदा हो जाती है, जब उसमें महिला या पुरुष को लेकर विरोधाभाष पैदा किए जाने लगते हैं। बात करते हैं इस विरोधाभाष की;-
पिताजी जिनके बचपन के कई मित्र हैं, जो घर पर अक्सर आते रहते हैं। पिताजी जिनको मैं भी अपना एक अच्छा दोस्त मानता हूं। पिताजी के मित्रों में कुछ लोग तो बचपन के हैं, तो कुछ लोग बाद के भी हैं। लेकिन आज अचानक पढ़ते वक्त एक बात दिमाग में आई क्या मेरी मां के कोई दोस्त नहीं थे? या थे भी तो क्या उन्होंने शादी के बाद अपने दोस्ती के रिश्तो को मायके में ही दफना दिया था। और उनकी तरह ही उनके दोस्तों ने भी क्या दोस्ती के उस रिश्ते को दफना दिया होगा।
रिश्तों को दफना देने वाली घटना शायद मेरी मां की नहीं हर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार की महिलाओं के साथ हुई होगी। न जाने उन्होंने अपने कितने बचपन के दोस्तों को खो दिया होगा। क्या वो दोस्त आज उनको याद नहीं आते होंगे या उन्होंने उन रिश्तों को, कई रिश्ते बचा लेने के चक्कर में भुला दिया होगा।
रिश्तों को दफना देने वाली घटना शायद मेरी मां की नहीं हर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार की महिलाओं के साथ हुई होगी। न जाने उन्होंने अपने कितने बचपन के दोस्तों को खो दिया होगा। क्या वो दोस्त आज उनको याद नहीं आते होंगे या उन्होंने उन रिश्तों को, कई रिश्ते बचा लेने के चक्कर में भुला दिया होगा।
मां की शादी के बाद भी उनकी मर्जी के चुने हुए दोस्त अभी भी नहीं होंगे शायद, अगर होंगे भी तो पिता के दोस्त की बीवी होगी, पिता के ही रिश्तेदारों की महिलाएं होंगी, पास पड़ोस की स्त्रियां होंगी। लेकिन उनमें से उनका कोई बचपन का दोस्त नहीं होगा। जिसके साथ वह खेली होगी, जिसके साथ वह पढ़ी होंगी।
कहां गुम हो गए उसके बचपन के दोस्त जिसको हम सबसे वफादार रिश्ता कहते हैं। जरुर इन रिश्तों ने इस पितृसत्तात्मक समाज की आग में अपनी आहुति दे दी होगी। उस बीती हुई पीढ़ी में शायद ही किसी मध्यम वर्गीय या गरीब परिवार में किसी महिला का कोई पुरुष मित्र या किसी पुरुष की महिला मित्र होती रही होगी। जिसको वह समाज में खुलकर स्वीकार कर सकते थे, कि हाँ यह हमारी/हमारे दोस्त हैं।
इन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं के पुरुष दोस्त की बात छोड़ो महिला मित्र भी आपको विरले देखने को मिलेंगे। आप लोग अपनी मां को बचपन में ले जाने के लिए उनसे एक सवाल जरुर पूछ सकते हैं। क्या आपको कोई बचपन का/की दोस्ती याद है जिसको आपने शादी के बाद भुला देना बेहतर समझा हो? या कोई दोस्त जिसको अब भी आप कभी-कभी याद कर लेती हों?
अम्बरीश कुमार
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