BOIS LOCKER ROOM : संस्कार व परवरिश के हेर-फेर की उपज - KADAK MIJAJI

KADAK MIJAJI

पढ़िए वो, जो आपके लिए है जरूरी

Breaking

Home Top Ad

Friday, May 8, 2020

BOIS LOCKER ROOM : संस्कार व परवरिश के हेर-फेर की उपज

हम जब बीस की उम्र पार कर रहे थे, उस वक़्त लड़कियों से बड़ा डरते थे। डरने से मतलब यह है कि उनसे बात करना, उनसे कुछ मांगना, उनके समीप बैठना..बेहद जटिल सा प्रतीत होता था। हमने अगर किसी को देखा, बदले में उसने भी अगर हमें देख लिया..तो नजरें स्वतः ही झुक जाती थी। पता नही लड़का होकर भी किस बात की शर्म हया थी। स्कूल में हम जिसे पसंद करते थे, उसे आजतक यह ज्ञात न हो पाया कि कोई उससे कितना प्रेम करता था। कभी बोल ही नही पाए, हिम्मत ही नही हुई। एक मित्र ने उसके खिलाफ एक दफा आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद हमने उसे चेताया भी था। 

अब ऐसा भी नही था कि जिंदगी भर हम दूध के धुले ही रह गए। हमने भी गर्लफ्रैंड बनाई, हमने भी उसे घुमाया, हम भी उसे पिक्चर ले गए..लेकिन मस्तिष्क में अश्लीलता ने कभी जन्म नही लिया। कई दफा इन चक्करों में बहुत बुरा फंसे भी, लेकिन बाद में इनसे सीख ही ली। लेकिन कभी भी उम्र से ज्यादा बड़ा बनने की कोशिश नही किए। 

उम्र के साथ ही हमारी बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। क्या सही है क्या गलत है इसका मार्गदर्शन करने हेतु अभिभावक की बहुत बड़ी भूमिका होती है। अभिभावक के मामले में सदैव हम धनी रहे। जीवन के दो दशक विभिन्न जगहों पर रहते हुए भी संस्कार रूपी मार्ग कभी अवरुद्ध नही हुआ। नतीजा यह है कि आजतक हम कूल डूड नही बन पाए। सिगरेट, गुटका, बियर जैसी कितनी ही चीज़े जीवन का हिस्सा बनने के लिए आतुर रही, लेकिन एक सभ्य परवरिश उनपर हावी रही।

Bois Locker room के बच्चों का संपूर्ण दोष नही है। सब संस्कारो व परवरिश का हेर-फेर है। थोड़ा बहुत प्रौद्योगिकी का भी। बच्चे वही सीखते है जो आसपास घटित होता है, जो वह देखते है, समझते है। पूर्णतः दोष माता-पिता का भी नही है, वे कितना नजर रखेंगे बच्चों पर। लेकिन एक बात जरूर है इस दौर में ज्यादातर अभिभावक लापरवाह जरूर हुए है। सोलह की उम्र में फ़ोन या लैपटॉप देना कोई प्रतिबद्धता नही हो सकती है, हाँ ऑनलाइन स्टडी एक मिथ्यापूर्वक बहाना जरूर है इन्हें प्राप्त करने का..लेकिन यकीन मानिए 10% बच्चे ही ऐसे ही जो इनका सदुपयोग करते है।

समय बहुत बदल गया है bois locker room के साथ साथ Girls locker room भी इंटरनेट के बाजार में उपलब्ध है। थोड़ा प्रतिबंधित कीजिये बच्चों की आज़ादी को ताकि समय से पहले वह बड़े न हो। उन्हें डांटिये व जरूरत पड़े तो पीटिये भी। उन्हें यह बताइए कि अनुशासन हर बदलते की स्थिर प्राथमिकता है। 

अगर आप दोस्त वाले माता-पिता है तो यह भी अच्छा है..उनकी सामान्य सी जिज्ञासाएं आप स्वयं अपने तरीके से शांत कीजिये। इस उम्र में क्या सही है क्या गलत..यह ज्ञान केवल उन्हें संस्कार व परवरिश के माध्यम से प्राप्त हो सकता है। बाकी दलदल तो चारों और है आपके अपने घर मे भी..आप बस यह देखिए कि उन्हें उस दलदल से कबतक और कितना बचा सकते है।


-आशीष झा

जुड़े रहिये हमारे फेसबुक पेज Kadak Miajji से

No comments:

Post a Comment

आपको यह कैसा लगा? अपनी टिप्पणी या सुझाव अवश्य दीजिए।

Post Bottom Ad

Pages