पीरियड्स स्पेशल: अचार खा रही है? बाप रे बाप! - KADAK MIJAJI

KADAK MIJAJI

पढ़िए वो, जो आपके लिए है जरूरी

Breaking

Home Top Ad

Thursday, May 28, 2020

पीरियड्स स्पेशल: अचार खा रही है? बाप रे बाप!


"पीरियड्स में अचार खा रही है? बाप रे बाप!"...  ये वो डायलॉग है जो शायद हर लड़की ने अपनी मां या दादी से सुनी होंगी। पापा का क्या.. वो तो इस बात पर ना कुछ कहते थे ना और ना सुनते थे। ढ़ोंग तो ऐसे रचते थे जैसे ये शब्द कभी सुना ही ना हो..  




बचपन से मुझे खट्टी और चटपटी चीज़ें खाने का बेहद शौख रहा है। और इसके ऊपर अचार के लिए मेरा प्रेम ना कभी कम हुआ है और ना होगा। लेकिन पीरियड्स में अचार के आसपास भी मैं भटकती दिखती तो मां या दादी.. जिसकी भी नज़र पड़ती.. पूरे घर को सिर पर उठा लेती थीं।
पीरियड्स से जुड़ी ऐसी कई चीज़ें थीं जिनपर घर वालों की ओर से बात कम और डांट ज़्यादा पड़ती थी। जैसे इस दौरान किचन में नहीं जाना है, पूजा नहीं करना है, अचार नहीं खाना है, ब्लाह ब्लाह! मुझे बाकी चीज़ों से कुछ खास फर्क तो नहीं पड़ता था... पर मेरा अचार.. उसने मेरा क्या बिगाड़ा था जो उसे मुझसे दूर कर दिया जाता था।

मैं फिर भी सबसे छिप-छिपाकर उसे खा ही लेती थी। कई बार पकड़ी भी गई.. डांट तो ऐसे पड़ती थी की पूछो मत। जब घरवालों को समझ आ गया की मैं नहीं मानने वाली तो मुझे इसके नुकसान के बारे में बताया गया। मुझे बताया गया कि वो अचार.. जिससे मैं इतना प्यार करती थी.. वो पीरियड्स के वक्त मुझे कितना... कितना ज़्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे मेरे पीरियड्स का फ्लो बहुत ज़्यादा हो जाता है।

नहीं नहीं... ऐसा मैं नहीं ऐसा मेरी मां ने कहा, और पूछिए उन्हें किसने बताया.. उनकी मां ने और उन्हें किसने .. उनकी मां ने... और ये ज्ञान ऐसे ही पीढ़ी दर पीढ़ी बंटता चला आया। ये वाला ज्ञान एकमात्र ज्ञान नहीं है जिसे हम महिलाओं को पुश्तों से मिलता आया है.. लिस्ट वाकई लंबी है। हां तो हम वापस अचार पर आते हैं।

मैं कुछ दिनों डरी, अचार से पीरियड के वीक दूर रही.. कमाल की बात मानेंगे मेरे पीरियड फ्लो पर कोई घंटा फर्क नहीं पड़ा। हां मेरा मूड ज़रूर खराब हुआ कि .. इतना बड़ा झूठ.. मेरे ही परिवार वालों ने मुझसे बोला? उनके परिवार वालों ने उनसे बोला और ऐसे ही ये सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आया.. आखिर क्यों? मैंने ठाना.. ना. अब नहीं रहना अचार से दूर। मेरे इस दुस्साहस का मेरी मां और दादी पर क्या असर हुआ ये मैं शब्दों में नहीं बांध सकती। बस इतना समझ लीजिए की उस दिन जो जली कटी मुझे सुनाई गई.. बाप रे बाप।

जब मेरे परिवार वालों को समझ आ गया की मैं ऐसे नहीं मानने वाली तो फिर उन लोगों ने ब्रह्मास्त्र निकाला। उस ब्रह्मास्त्र में एक ऐसा ज्ञान था जो बड़े-बड़े अचार प्रेमियों की छुट्टी कर दे। इस ज्ञान में मुझे बताया गया कि अगर मैंने पीरियड्स में अचार को छुआ... तो...वो... खराब हो जाएगा! मतलब समझ रहे हैं आप। जब खुद की परवाह ना करो तो अपने प्यार की परवाह तो करोगे ही।

यही खेल मेरे साथ खेला गया। मैं डर गई! खराब हो गया अचार तो? वाकई में हो गया तो? जो थोड़ा बहुत खाने को मिलता है वो भी गया। मैंने लंबे समय तक अचार को नहीं छुआ। लंबे समय यानी करीब दो महीने... आपके लिए वो दो महीने होंगे मेरे लिए वो 200 साल थे।

फिर मैंने किया.. अपने मन की। खा लिया। कुछ नहीं हुआ, ना अचार को ना मुझे। उसके बाद से मेरे पर लग गए। उस सभी ज्ञान को खुद जांचना शुरु किया जो मुझे इस मामले में पीढ़ी दर पीढ़ी नसीब हुई। यकीन मानिए आप भी कीजिए। यहां मेरा प्यार अचार था.. आपका कुकिंग हो सकता है या फिर कुछ और।



ये एक नॉर्मल प्रक्रिया है जिसे बस थोड़ा सहज होकर इससे गुज़रना चाहिए। तो आपने किस मिथ्या को तोड़ा है? चलिए तो इतना ज्ञान मुझसे लिया है आपने.. सबको वणक्कम। हैप्पी पीरियड्स। स्टे सेफ, स्टे इन हाइजिन। 
- मेघना


कड़क मिज़ाजी के Facebook और Telegram चैनल से जुड़ने के लिए क्लिक करें-

FACEBOOK PAGE LINK 

TELEGRAM CHANNEL LINK

No comments:

Post a Comment

आपको यह कैसा लगा? अपनी टिप्पणी या सुझाव अवश्य दीजिए।

Post Bottom Ad

Pages