यह कार्यक्रम, 'डिजिटल इंडिया कार्यक्रम' का एक हिस्सा है जिसका उद्देश्य डिजिटल और आर्थिक रूप से समावेशी समाज का निर्माण करना है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करने का निर्णय लिया गया है। इसके अंतर्गत ऑनलाइन, ऑफलाइन आर्डर और होम डिलीवरी के लिए आउटलेट्स को शामिल किया गया है।
इस प्रकार सरकार, कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से ग्रामीण लोगों तक अपनी पहुंच बनाने की तैयारी में हैं।
क्या है कॉमन सर्विस सेंटर?
कॉमन सर्विस सेंटर के अंतर्गत सरकार द्वारा ग्रामीण स्तर पर ऑनलाइन रिटेल चेन बनाई गई है। सामान्य शब्दों में समझें तो यह फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल का देसी ग्रामीण संस्करण है जिसे सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसके माध्यम से सरकार 3.8 लाख आउटलेट्स के जरिए 60 करोड़ से भी ज्यादा लोगों तक डिजिटल पहुंच बना रही है।
यह आउटलेट निजी व्यक्तियों द्वारा स्थापित और संचालित किए जाते हैं और इनकी देखरेख इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत की जाती है।
कॉमन सर्विस सेंटर्स को सब्जियां दूध, दाल, फल और अन्य उत्पादों जैसी आवश्यक वस्तुओं की बिक्री और आपूर्ति का काम सौंपा गया है।
ग्राहक ऑनलाइन जाकर लोगों के लिए बनाए गए ऐप से वस्तुएं ऑर्डर कर सकते हैं। इस ऐप के संचालन का भार ग्रामीण स्तर के उद्यमियों (VLEs) को दिया गया है।
ये VLEs, इस ऐप की सहायता से ऑनलाइन या ऑफलाइन आर्डर ले सकते हैं और फिर निर्धारित समय के अंदर ग्राहक तक वस्तुएं पहुंचाने का प्रबंध करते हैं।
यह कार्यक्रम, 'डिजिटल इंडिया कार्यक्रम' का एक हिस्सा है जिसका उद्देश्य डिजिटल और आर्थिक रूप से समावेशी समाज का निर्माण करना है।
कॉमन सर्विस सेंटर योजना की शुरुआत सितंबर, 2006 में नागरिकों को ई-सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।
2015 में कॉमन सर्विस सेंटर 2.0 योजना की शुरुआत सभी ग्राम पंचायतों तक पहुंच बनाने के लिए की गई।
वर्तमान में लगभग 2000 कॉमन सर्विस सेंटर शुरू किए जा चुके हैं।
जुड़े रहिये हमारे फेसबुक पेज Kadak Miajji से
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा लॉकडाउन के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति करने का निर्णय लिया गया है। इसके अंतर्गत ऑनलाइन, ऑफलाइन आर्डर और होम डिलीवरी के लिए आउटलेट्स को शामिल किया गया है।
इस प्रकार सरकार, कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से ग्रामीण लोगों तक अपनी पहुंच बनाने की तैयारी में हैं।
क्या है कॉमन सर्विस सेंटर?
कॉमन सर्विस सेंटर के अंतर्गत सरकार द्वारा ग्रामीण स्तर पर ऑनलाइन रिटेल चेन बनाई गई है। सामान्य शब्दों में समझें तो यह फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल का देसी ग्रामीण संस्करण है जिसे सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।
इसके माध्यम से सरकार 3.8 लाख आउटलेट्स के जरिए 60 करोड़ से भी ज्यादा लोगों तक डिजिटल पहुंच बना रही है।
यह आउटलेट निजी व्यक्तियों द्वारा स्थापित और संचालित किए जाते हैं और इनकी देखरेख इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत की जाती है।
कॉमन सर्विस सेंटर्स को सब्जियां दूध, दाल, फल और अन्य उत्पादों जैसी आवश्यक वस्तुओं की बिक्री और आपूर्ति का काम सौंपा गया है।
ग्राहक ऑनलाइन जाकर लोगों के लिए बनाए गए ऐप से वस्तुएं ऑर्डर कर सकते हैं। इस ऐप के संचालन का भार ग्रामीण स्तर के उद्यमियों (VLEs) को दिया गया है।
ये VLEs, इस ऐप की सहायता से ऑनलाइन या ऑफलाइन आर्डर ले सकते हैं और फिर निर्धारित समय के अंदर ग्राहक तक वस्तुएं पहुंचाने का प्रबंध करते हैं।
यह कार्यक्रम, 'डिजिटल इंडिया कार्यक्रम' का एक हिस्सा है जिसका उद्देश्य डिजिटल और आर्थिक रूप से समावेशी समाज का निर्माण करना है।
कॉमन सर्विस सेंटर योजना की शुरुआत सितंबर, 2006 में नागरिकों को ई-सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।
2015 में कॉमन सर्विस सेंटर 2.0 योजना की शुरुआत सभी ग्राम पंचायतों तक पहुंच बनाने के लिए की गई।
वर्तमान में लगभग 2000 कॉमन सर्विस सेंटर शुरू किए जा चुके हैं।
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