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Tuesday, May 5, 2020

हुई महंगी बहुत शराब कि थोड़ी-थोड़ी पिया करो


वैधानिक चेतावनी-  "शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही नहीं ,जानलेवा भी है।"

यूँ तो लॉकडाउन के तीसरे चरण में मिलने वाली छूट चार तारीख से लागू हुई लेकिन इसमें मिलने वाली एक खास रियायत की घोषणा भर से ही एक सप्ताह पहले से समाज के सबसे ज्यादा 'अंग्रेजी बोलने वाले' वर्ग में इस तरह खुशी की लहर छा गयी जैसे हरियाणा की एक मशहूर डांसर के स्टेज पर आने की घोषणा भर से लोगों के अंदर करंट दौड़ जाता है। अब ये न पूछ लेना कि 'खास रियायत' और 'अंग्रेजी बोलने वाले' से क्या मतलब है, हरियाणवी डांसर कौन है.....कड़क मिज़ाज वाले तो कभी न पूछें !😎


तो भैया बात यह है कि 4 मई से शराब की दुकानों को केंद्र सरकार द्वारा हरी झंडी देने के बाद से देश में त्योहारों जैसा माहौल बनने लगा। और फिर जैसे ही 3 तारीख खत्म हुई, इस त्योहार को मनाने देशभर से एक खास वर्ग का जत्था सड़कों पर निकला जिसे आम भाषा में शराबी कहते हैं और अर्थशात्रीयों की नजर में सबसे बड़े करदाता।
जी हां, सबसे बड़े करदाता। अर्थव्यवथा को चलाने ही तो खोला गए हैं ये शराब का ठेके। क्योंकि 41 दिन बिना शराब के ये तो रह गए, सरकारें ही न रह सकी। 🤭

लेकिन दाद देनी पड़ेगी शराब खरीदने वालों की, घण्टों लाइन में लगे रहे और अपनी बारी का इंतज़ार किया है एक अदद बोतल के लिए। लाइनें भी ऐसी कि मोदीजी के नोटबंदी वाली लाइन भी इसके सामने पानी भरने लगे। उस लाइन में तो इतना शोर शराबा हुआ और सबने मोदीजी को निशाना बना दिया। लेकिन क्या मजाल कि आज इन समझदारों की लाइन में से एक शब्द भी निकला हो, ये लाइन तो उल्टे मोदीजी का गुणगान भी कर रही थी।
और हाँ, सोशल डिस्टेनसिंग का भी बखूबी पालन किया है इन्होंने..वरना आजकल तो इसके लिए टोकने पर लोग तलवार लेकर घर आ धमकते हैं।😭


अब आते हैं मुद्दे की बात पर। बात दरअसल यह है कि दिल्ली सरकार ने इन भले मानुषों पर ज़्यादती की प्लानिंग कर ली है। मंगलवार से इनकी खुराख पर 70 प्रतिशत का टैक्स ठोक दिया गया है। और यह  'स्पेशल कोरोना फीस ' के रूप में वसूल किया जाएगा। एक तो पूरी अर्थव्यवस्था ठप्प पड़ी थी, इनकी बदौलत खजाना भर रहा है, और इसपर कोरोना के नाम पर फीस। बहुत नाइंसाफी है।☹️

खैर ये भले लोग कभी कोई शिकायत नहीं करते। ये सरकारें कितना भी बोझ बढ़ा दे, ये वो वर्ग है जो हमेशा सबकुछ सहन करते आया है। शराब के लिए ये अपनी जान तक दे देते हैं तो ये कोरोना फीस किस चिड़िया का नाम है..?? 😝

लेकिन 'कड़क मिज़ाजी' इन जागरूक करदाताओं से इतना तो जरूर कहना चाहता है कि "यह सरकारों की चाल है तुम्हें उकसाने की। कोरोना से लड़ाई लम्बी है और राशन-पानी और इंटरनेट आदि बिना पैसों के बहुत मुश्किल है। और फिर ये शराब महंगे भी हो रहे हैं, जेब खाली हो जाएगी तो फिर कहाँ से लाओगे ? इस स्थिति के लिए ही तो पंकज उदास ने कहा था- 
"हुई महंगी बहुत शराब, कि थोड़ी थोड़ी पिया करो।"🍷

(- कड़क मिजाज, चटर्जी)
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