देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा, सिविल सेवा मानी जाती है। एक IAS अफसर बनने के लिए एक विद्यार्थी बहुत संघर्ष करता है। बार-बार असफलताओं के बाद एक व्यक्ति को IAS बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए की गई मेहनत को चार वाक्यों में समेट पाना असंभव है, और हम समेटना भी नहीं चाहते।
लेकिन क्या कोई व्यक्ति इस प्रतिष्ठा को पाने के बाद उसे छोड़ सकता है? आप कहेंगे कि कोई मानसिक अस्वस्थ ही होगा जो ऐसी रुतबे वाली सेवा को छोड़ दे जिसे पाने के लिए उसकी एक तिहाई उम्र निकल गयी।
2014 बैच की हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी 'रानी नागर' ने सोमवार को सुरक्षा कारणों से इस्तीफा दे दिया। वह अभिलेखागार विभाग के निदेशक और साथ ही सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर थीं। लेकिन वह खुद के साथ ही न न्याय कर सकीं और न सशक्त बन कर रह सकीं।
उन्होंने कुछ दिनों पहले अपने फेसबुक के माध्यम से अपने ऊपर जान का खतरा बताया था। इस्तीफे में भी उन्होंने खुलकर कुछ नहीं लिखा, इस्तीफे के कारण में बस इतना लिखा गया कि सरकारी कर्तव्य को करने में उन्हें व्यक्तिगत असुरक्षा है।
उन्होंने राज्य सरकार के मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा को अपना इस्तीफा भेज दिया और ई-मेल के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, हरियाणा के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को इस्तीफे की प्रतियां भी भेजी हैं। इस्तीफा भेजते ही राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा गर्म हो गयी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया।
कारण कोई भी हो, एक आईएएस अफसर का यूँ इस्तीफा दे देना कोई छोटी बात तो नहीं है। यह देश की इस सबसे प्रतिष्ठित सेवा पर एक गहरी चोट की तरह है। सिविल सेवा में जाने के लिए हर साल लाखों युवा सपने देखते हैं। घर से हजारों किलोमीटर दूर रहकर , खाने-पीने का होश खोकर दिन-रात मेहनत करते हैं। और जब उनको यह पता चले कि आईएएस बनने के बाद वे सुरक्षित ही नहीं रहेंगे तो कितने युवाओं के चेहरे की मुस्कान छिन जाएगी यह सहज ही समझा जा सकता है।
कड़क सवाल :
इस्तीफा देने और सुरक्षा कारणों की बात उन्होंने बहुत पहले बताई थी। क्या उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कराना इतना मुश्किल था? आये दिन आईएएस अफसरों की बदली होती है, क्या उनसे बात कर कहीं और सेवा देने नहीं भेजा जा सकता था? इस प्रकार एक महिला अधिकारी का इस्तीफा दे देना महिला-सशक्तिकरण पर सवालिया निशान नहीं खड़े करता है?
(- कड़क मिजाज, चटर्जी)
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लेकिन क्या कोई व्यक्ति इस प्रतिष्ठा को पाने के बाद उसे छोड़ सकता है? आप कहेंगे कि कोई मानसिक अस्वस्थ ही होगा जो ऐसी रुतबे वाली सेवा को छोड़ दे जिसे पाने के लिए उसकी एक तिहाई उम्र निकल गयी।
2014 बैच की हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी 'रानी नागर' ने सोमवार को सुरक्षा कारणों से इस्तीफा दे दिया। वह अभिलेखागार विभाग के निदेशक और साथ ही सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर थीं। लेकिन वह खुद के साथ ही न न्याय कर सकीं और न सशक्त बन कर रह सकीं।
उन्होंने कुछ दिनों पहले अपने फेसबुक के माध्यम से अपने ऊपर जान का खतरा बताया था। इस्तीफे में भी उन्होंने खुलकर कुछ नहीं लिखा, इस्तीफे के कारण में बस इतना लिखा गया कि सरकारी कर्तव्य को करने में उन्हें व्यक्तिगत असुरक्षा है।
उन्होंने राज्य सरकार के मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा को अपना इस्तीफा भेज दिया और ई-मेल के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, हरियाणा के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को इस्तीफे की प्रतियां भी भेजी हैं। इस्तीफा भेजते ही राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा गर्म हो गयी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया।
कारण कोई भी हो, एक आईएएस अफसर का यूँ इस्तीफा दे देना कोई छोटी बात तो नहीं है। यह देश की इस सबसे प्रतिष्ठित सेवा पर एक गहरी चोट की तरह है। सिविल सेवा में जाने के लिए हर साल लाखों युवा सपने देखते हैं। घर से हजारों किलोमीटर दूर रहकर , खाने-पीने का होश खोकर दिन-रात मेहनत करते हैं। और जब उनको यह पता चले कि आईएएस बनने के बाद वे सुरक्षित ही नहीं रहेंगे तो कितने युवाओं के चेहरे की मुस्कान छिन जाएगी यह सहज ही समझा जा सकता है।
कड़क सवाल :
इस्तीफा देने और सुरक्षा कारणों की बात उन्होंने बहुत पहले बताई थी। क्या उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कराना इतना मुश्किल था? आये दिन आईएएस अफसरों की बदली होती है, क्या उनसे बात कर कहीं और सेवा देने नहीं भेजा जा सकता था? इस प्रकार एक महिला अधिकारी का इस्तीफा दे देना महिला-सशक्तिकरण पर सवालिया निशान नहीं खड़े करता है?
(- कड़क मिजाज, चटर्जी)
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Beti bachao...beti padhao...beto ko pdha ke IAS bnao...aur fir usse resign karwao...wah modi ji wah
ReplyDeletewe can understand your emotions, Mr Sohail... Thankyou for your comment.. Keep Reading Kadak Mijaji and be connected with the world with us..
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