कभी-कभी ऐसा भी होता कि जब मैं किसी जलसे में पहुंचता तो मेरा स्वागत "भारत माता की जय" नारे के साथ जोर-जोर से किया जाता। मैं लोगों से अचानक पूछ बैठता कि इस नारे से उनका क्या मतलब है? यह भारत माता कौन हैं, जिनकी वो सभी जय चाहते हैं। मेरे सवाल से उन्हें कुतूहल और ताज्जुब होता और जवाब न दे पाने पर एक दूसरे की ओर देखने लगते या तो मेरी तरफ देखने लगते।
मैं सवाल करता ही रहता। आखिर एक हट्टे-कट्टे जाट ने, जो अनगिनत पीढ़ियों से किसानी करता आया था, जवाब दिया कि भारत माता से उनका मतलब धरती से है। कौन सी धरती ? खास उनके गांव की धरती, या जिले की या सूबे की, या सारे हिंदुस्तान की धरती से उनका मतलब है? इस तरह सवाल-जवाब चलते रहते यहाँ तक कि वे ऊबकर मुझसे कहने लगते कि मैं ही बताऊं।
मैं इसकी कोशिश करता और बताता कि हिंदुस्तान वह सब कुछ है, जिसे उन्होंने समझ रखा है लेकिन वह इससे भी बहुत ज्यादा है। हिंदुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल और खेत जो हमें अन्न देते हैं, ये सभी हमें अजीज हैं। लेकिन आखिरकार जिनकी गिनती है वह हैं हिंदुस्तान के लोग, उनके और मेरे जैसे लोग जो इस सारे हिंदुस्तान में फैले हुए हैं।
भारत माता दरअसल यही करोड़ों लोग हैं, और "भारत माता की जय" से मतलब हुआ इन लोगों कि जय। मैं उनसे कहता हूँ कि तुम भारत माता के अंश हो, एक तरह से तुम भी भारत माता हो। और जैसे-जैसे ये विचार उनके मन में बैठते उनकी आँखों में चमक आ जाती, इस तरह मानो उन्होंने बड़ी खोज कर ली हो।
(द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया )
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