भारत के सबसे बड़े 'ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म', UNACADEMY के लगभग 2.2 करोड़ यूज़र्स के डेटा लीक होने का मामला सामने आया है। Unacademy के 22 मिलियन उपयोगकर्ताओं का विवरण कथित तौर पर अब बिक्री के लिए उपलब्ध है।
सिक्योरिटी फर्म 'साइबल इंक' के अनुसार, "एक हैकर उपयोगकर्ता डेटाबेस की पेशकश कर रहा है, जिसमें 2,000 डॉलर में 21,909,707 यूज़र्स के रिकॉर्ड बेचने के लिए उपलब्ध हैं। हैक हुए रिकॉर्ड में USERNAME, PASSWORD तथा अन्य गोपनीय जानकारी भी है।
UNACADEMY के सह-संस्थापक हेमेश सिंह ने डेटा ब्रीच की पुष्टि की, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षार्थियों की सभी संवेदनशील जानकारी सुरक्षित हैं। "हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं और यह पुष्टि कर सकते हैं कि लगभग 11 मिलियन शिक्षार्थियों से संबंधित बुनियादी जानकारियां चोरी हुई है।
हालांकि उन्होंने छात्रों को आश्वाशन देते हुए कहा कि वित्तीय डेटा, स्थान या पासवर्ड जैसी कोई संवेदनशील जानकारियां चोरी नहीं हुई है।"
उन्होंने विद्यार्थियों को अपना पासवर्ड और अन्य जानकारियां बदलने की भी सलाह दी है।
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कड़क सवाल-
ऑनलाइन शिक्षा, शिक्षा प्राप्त करने का एक बेहतरीन जरिया माना जाता है। एक ओर यह अनुभवी शिक्षकों के लिए एक आसान से लिंक के जरिये करोड़ो छात्रों को पढ़ाने की सुविधा उपलब्ध कराता है तो वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों के लिए कभी भी, कहीं भी, और किसी भी स्थिति में पढ़ने की सुविधा देता है। ऑनलाइन शिक्षा का प्रसार के साथ-साथ इसका व्यापार भी बढ़ा है। जानकारी के अनुसार UNACADEMY का व्यापार ही लगभग 500 मिलियन डॉलर का है।
लेकिन वर्तमान समय में जहां ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है वहां शिक्षार्थियों के साथ यह घटना क्या बड़ी लापरवाही का नतीजा नहीं है? क्या ऐसी बड़ी बड़ी संस्थाएं जिसपर विद्यार्थी आंख बंद कर विश्वास करते हैं की जिम्मेदारी सिर्फ एक ऑनलाइन क्लास देने तक ही सीमित है?
(- कड़क मिजाज, चटर्जी )
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