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"इस शताब्दी के शुरुआत के समय जब Y2K संकट आया था तब भारत के टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने पूरे विश्व को उबारा था।"
आखिर क्यों हुआ इस दौर में 20 साल पहले की घटना का जिक्र ?
वर्तमान समय में पूरी दुनिया में संचार क्रांति आ चुकी है कंप्यूटर विशालतम स्वरूप ले चुका है, लेकिन जब हम 21वीं सदी में प्रवेश कर रहे थे, तब परिस्थितियां ऐसी नहीं थी। उस समय ऐसा लग रहा था जैसे पूरी दुनिया से कंप्यूटर सिस्टम ही खत्म हो जाएगा। संचार तंत्र पूरी तरह प्रभावित होने जा रहा था। इन सब का कारण था एक 'सॉफ्टवेयर बग'। सॉफ्टवेयर बग, किसी कंप्यूटर प्रोग्राम की ऐसी त्रुटि (फॉल्ट) को वर्णित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक आम शब्द है जो गलत और अप्रत्याशित परिणाम देती है।
हम 20 वीं सदी से 21वीं सदी में प्रवेश कर रहे थे, सन 1999 खत्म होकर सन 2000 की शुरुआत होने वाली थी, लेकिन दुनियाभर के कंप्यूटर सिस्टम 31 दिसंबर 1999 से आगे का साल बदल पाने में सक्षम नहीं थे क्योंकि कंप्यूटर में इस तरह का प्रोग्राम सेट नहीं किया गया था।
यह समस्या पूरे विश्व के सामने थी। उस दौर में भारत को कम्प्यूटर के मामले में सक्षम नहीं समझा जाता था लेकिन वो भारतीय कम्प्यूटर इंजीनियर ही थे जिन्होंने इस समस्या का समाधान कर पूरी दुनिया के कम्प्यूटर को 20 वीं सदी से 21 वीं सदी का बनाया। शायद पीएम मोदी भारतीयों की इसी कड़ी मेहनत और परिश्रम का उदाहरण दुनिया के सामने रखना चाहते थे।
क्या था Y2K संकट ?
वर्तमान समय में हम दिनांक लिखने के लिए DD/MM/YYYY फॉर्मेट का प्रयोग करते हैं। मसलन आज की तारीख को हम 14/05/2020 लिखते हैं।
लेकिन इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटिंग की शुरुआत में दुनियाभर के कंप्यूटर सिस्टम में डेट शो करने के लिए साल की डिजिट्स पर 4 की जगह पर 2 अंकों का इस्तेमाल होता था यानि उस समय आज की तारीख को 14/05/20 लिखा जाता।
कम्प्यूटिंग के दौर में जब साल 1999 खत्म होकर 2000 की शुरू होने वाला था तब दुनियाभर के कंप्यूटर 31 दिसंबर, 1999 से आगे की डेट में जाने में सक्षम नहीं थे।
Y2K में Y का मतलब 'YEAR' है और 2K का मतलब है - '2000' . यानि यह संकट सन 2000 आने के साथ आने वाली थी।
ये सब कुछ कंप्यूटर की कोडिंग की खामी की वजह से था, इस बग को ‘मिलेनियम बग’ कहा गया।
सिस्टम अगले साल के लिए तारीख और महीना बदल सकते थे लेकिन साल के आखिरी 2 अंकों को छोड़कर पहले 2 अंक नहीं बदले जा सकते थे और इस तरह 01/01/ 2000 को कंप्यूटर में दिखने वाली तारीख 01/01/1900 ही रहती यानी समय से ठीक 100 साल पहले।
अमेरिका और यूरोप में कंप्यूटरों को इस तरह बनाया गया था कि उनमें साल 2000 और उसे आगे की सालों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।
अमेरिका में तमाम कंप्यूटर गिनतियां MM /DD /YY की तर्ज पर बनाई गई थी, साल में केवल 2 अंकों में था इसलिए 1999 के बाद जब साल 2000 आता तो सभी तारीखों में बदलाव के साथ 01 /01 /00 हो जाती लेकिन कंप्यूटर से जुड़ी सभी सेवाएं ठीक 100 साल पहले चली जाती।
उस दौर में कई कंप्यूटर विशेषज्ञों ने इसके बारे में चेताया था कि कंप्यूटर में 21 वीं सदी के लिए प्रोग्राम नहीं है इसलिए वे ध्वस्त हो सकते हैं और इससे बहुत सारे कंप्यूटर कार्यक्रम जिन पर अर्थव्यवस्था निर्भर थी, सब फेल होने वाली थी।
बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह बंद होने वाली थी, पावर ग्रिड फेल हो जाते और उनसे जुड़ी सभी सेवाएं बाधित हो सकती थी इसके अलावा कंप्यूटर आधारित सैटेलाइट अंतरिक्ष कार्यक्रम भी इससे बुरी तरह प्रभावित होने की कगार पर थे।
कंप्यूटर एक्सपर्ट्स के मुताबिक सिस्टम में 21वीं सदी के लिए पर्याप्त प्रोग्राम नहीं थे जिससे उनके क्रैश होने का खतरा था।
इस तरह कंप्यूटर प्रणाली जुड़ी सभी गतिविधियां बाधित होने वाली थी।
ये भारतीय युवा कम्प्यूटर इंजीनीयर ही थे जिन्होंने कोड को फिर से लिख कर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को 21 वीं सदी के अनुरूप बनाया।
Y2K संकट ने कैसे भारत को सॉफ्टवेयर की दुनिया का 'सबसे बड़ा खिलाड़ी' बना दिया ?
उस दौर में भारत कम्प्यूटर के क्षेत्र में कुछ ख़ास नहीं किया था, लेकिन WIPRO , INFOSYS और IIS जैसे IT कंपनियों की शुरुआत हो चुकी थी। भारत में सस्ता मानव संसाधन किसी भी देश के मुकाबले पर्याप्त था। इसके अलावा भारत के पास उभरते हुनरमंद कम्यूटर इंजीनीयरों की कमी नहीं थी।
यही वजह थी की कम्प्यूटर के दिग्गज अमेरिका और यूरोपीय देशों का ध्यान भारत की तरफ गया और यही समय था जब भारत के युवाओं ने इस क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया। इसके बाद भारत की सॉफ्टवेयर कंपनियों ने ऐसी उड़ान भरी जिसको रोक पाना नामुमकिन हो गया।
1999 में शुरू हुआ भारत का सेवा निर्यात 2010 तक तमाम भविष्यवाणियों को तोड़ते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। वहीं उस समय भारतीय तकनीकी कंपनियों के कुल राजस्व का लाभ 40% विदेशी कंपनियों से Y2K को दुरुस्त करने से मिले कॉन्ट्रेक्ट से आता था।
एक अनुमान के मुताबिक इस बग को ठीक करने में 600 से 1600 बिलियन डॉलर खर्च किये गए जिसका बहुत बड़ा हिस्सा भारत के पास आया।
IIS सॉफ्टवेयर कम्पनी ने भारत के विदेशी ग्राहकों की सूची बनाई जिसमें सिटीबैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस , जनरल इलेक्ट्रिक और प्रुडेंशियल जैसी बड़ी अमेरिकन कंपनियां शामिल थी।
माइक्रोसॉफ्ट और आई.बी.एम जैसी दिग्गज कंपनियों ने भी भारतीय कंपनियों को इस काम के लिए आउटसोर्सिंग सौंप दी। ये भारतीय युवा ताकत थी जिसने पूरी दुनिया को Y2K संकट से उबारा।
कोरोना से इसका क्या संबंध है, क्यों लिया मोदीजी ने इसका नाम ?
भारत के प्रधानमंत्री शुरु से भारतीय युवा शक्ति की बात करते आये हैं। कोरोना के संकटकाल में भारतीय वैज्ञानिक इसका इलाज और उपाय ढूंढने में दिन रात मेहनत कर रहे हैं। यह सब तब हो रहा है जब पूरा विश्व इस महामारी से तबाह हो चुका है। देश के प्रधानमंत्री को यह यकीन है की 20 साल पहले जिस प्रकार भारतीय युवाओं ने पूरी दुनिया को संकट से निकाल कर अपना लोहा मनवाया था उसी प्रकार इस दौर में भी भारत के युवा इस महामारी से उबरने के लिए विश्व की मदद कर सकते हैं। प्रधानमंत्री का अचानक इस बात का जिक्र करना भारत के हुनरमंद युवाओं में एक नए जोश का संचार करेगा।
(- कड़क मिजाज , आलोक चटर्जी )
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Thankyou so much for this information sir..
ReplyDeleteHindustan ke is karnaame ki jankari pahli bar mili. Mane apne ghar me sabko iske bare me bataya. Sabne aapke lambe umar ki dua ki thankyiu jai hind
ReplyDeleteSahi kaha Ajij, aapke sir ne bahut achi information share ki hai. Maine pahli bar naam suna is y2k ka and I feel proud that India ne poore world ko itne bade crisis se bachaya. Jai Hind����
DeleteThankyou Ajij bhaijan for sharing this information. Feeling proud to be an Infosys employee. Proud to be a Hindustani.
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