एक ओर जहां पूरी दुनिया कोरोनावायरस से लड़ाई के लिए एकजुट खड़ी है वहीं दूसरी ओर गलवान घाटी पर हुई भिड़ंत देश को बड़ा ज़ख्म दे गई। 15 जून, 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी के पास चीनी सेना के साथ हिंसक टकराव में हमारे 20 जावन शहीद हो गए। इन सभी 20 शहीदों की अपनी अपनी कहानी है जिसे सुनाने के लिए अब ये हमारे बीच नहीं रहे।
इन शहीदों में से एक थे बिहार रेजीमेंट में तैनात कुंदन कुमार ओझा। कुंदन कुमार ओझा झारखंड के साहिबगंज से थे। 17-18 दिन पहले पिता बने थे और और अपनी बेटी को देखने जाने की योजना बना रहे थे।
परिवार के सदस्यों ने कहा कि कुंदन से उनसे आखिरी बार बात तब हुई जब उनकी बेटी दीक्षा का जन्म हुआ था।
कुंदन के बड़े भाई मुकेश ओझा ने कहा, “वह 17-18 दिन पहले ही पिता बने थे। उन्होंने अपनी पत्नी नमिता देवी से वादा किया था कि एक बार भारत-चीन सीमा पर तनाव कम हो जाने पर वह जल्द ही दीक्षा (बेटी) को देखने आएंगे। लेकिन वह दिन कभी नहीं आएगा। 2018 में ही कुंदन की शादी हुई थी। कुंदन ने कहा था बेटी हो या बेटी.. जम के पार्टी करेंगे। उसकी अपनी बेटी को देखने की उनकी इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। ”
कुंदन के पिता ने कहा, " मेरे बेटे ने देश के लिए अपना बलिदान दिया है, मेरे दो पोते हैं, मैं उन्हें भी सेना में भेजूंगा।"
गणेश कुंजाम
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के एक गाँव के निवासी 27 वर्षीय गणेश कुंजाम इस साल जनवरी में घर आए थे। उनके माता-पिता ने उसी दौरान उनकी शादी तय की थी। गणेश के बचपन के दोस्त ने कहा, “उनके माता-पिता और उनके चाचा ज्वाइंट फैमिली में रहते हैं। गणेश ने हाल ही में एक घर बनाया था और अपनी बचत के लगभग 10 लाख रुपये उसमें खर्च किए थे। ''
के पलानी
हवलदार के पलानी 18 साल की उम्र में सेना में शामिल हुए थे। उनके छोटे भाई भी सेना में हैं। उन्होंने कहा कि पलानी ने बचपन में बहुत संघर्ष किया और सेना में शामिल होने के बाद हमेशा कड़ी मेहनत की। उनके भाई ने कहा, "उन्होंने मुझे बहुत प्रभावित किया, जिसकी वजह से मैं उनके द्वारा चुने गए रास्ते का पालन करता गया। "
राजेश ओरांग
बीरभूम के बेलगोरिया गांव में, आदिवासी किसान सुभाष ओरांग ने अपने इकलौते बेटे और राजेश ओरांग और परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य खो दिया। कर्ज़ तले दबे सुभाष ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि राजेश को मई में बीरभूम आना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं आ सका।
चंदन कुमार
चंदन कुमार ने मई में शादी करने की योजना बनाई थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं कर सके। भोजपुर के ज्ञानपुर गाँव के निवासी चंदन ने अपने तीन बड़े भाइयों के रास्ते का पालन किया जो रक्षा सेवाओं में हैं। होम गार्ड से सेवानिवृत्त हुए चंदन के पिता हृदयानंद ने कहा, "मेरे बेटे का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।"
इन सभी वीर जवानों को हमारी टीम की ओर से सलाम और इनके परिवार के प्रति गहरी संवेदना है।
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