इस लेख को लिखना शुरू करने तक दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के 98.21 लाख मामले सामने आ चुके हैं, अबतक 4.94 लाख लोगों की इहलीला समाप्त हो चुकी है। भारत में हर दिन मामले की बढ़ोत्तरी रिकॉर्ड कायम कर रही है और यहां अबतक 5 लाख के करीब मामले हैं।
(आगे बढ़ने से पहले बता दें कि प्रस्तुत लेख, लेखक के निजी विचार हैं लेकिन उसे आप अपने नजरिये से देखें तब भी हम बुरा नहीं मानेंगे। हालांकि आपकी टिप्पणी अपेक्षित है।)
सीन 1.. एक व्यक्ति कोई आयुर्वेदिक औषधि बनाता है। दावा किया जाता है कि उससे दुनिया की सबसे बड़ी महामारी का इलाज हो सकता है। बात लाखों लोगों की जिंदगी से जुड़ी है, देश का स्वास्थ्य मंत्रालय तुरन्त संज्ञान लेता है, दवा से सम्बंधित ब्यौरा मांगता है, उस दवा को किन प्रयोगों के आधार पर असरदार बताया गया उसका प्रमाण मांगता है और फिर जरूरी जांच-पड़ताल शुरू होती है। चूंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है इसलिए जांच पूरी होने तक दवा के प्रयोग पर रोक लगा दी जाती है। अब यह दवा कितनी कारगर है, यह सच में उस बीमारी का इलाज कर पाती है या नहीं, इसकी पुष्टि करना स्वास्थ्य मंत्रालय, डॉक्टरों और इलाज के शोध से जुड़े वैज्ञानिकों का काम है। दवा असरदार हुई तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी और फेल हुई तो लाखों प्रयोग की तरह यह भी प्रयोग मानकर कचरे में चला जायेगा।
सीन 2.. यह कथित भरोसेमंद दवा विकसित करने वाले व्यक्ति देश के सत्ता पक्ष के पक्षधर माने जाते हैं। इसलिए यह बात सीन 1 की तरह इतनी आसानी से पचने वाली नहीं है। सबसे पहले इसमें देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को मसाला मिलता है, दूसरे धड़े का मीडिया भी इसमें गोते लगाने कूदता है, कई दिनों तक घण्टे भर के डिबेट शो (जिसमें बस चिल्लम-चिल्लाई होती है) के लिए नया टॉपिक मिलता है। और सोशल मीडिया की तो बात करना बेमानी है, हमारी बिरादरी के हैं, ज्यादा बोलना भी ठीक नहीं।
कई मुख्यमंत्री, बड़े नेता और वैसे लोग सामने आकर हमलावर हो जाते हैं जिन्हें न बीमारी की जानकारी है, न डॉक्टर हैं, न वैज्ञानिक और न ही केमिस्ट। इन्हें बस मुद्दा मिलता है, मुद्दा सत्ता पक्ष से सोशल मीडिया पर सवाल पूछने का, मुद्दा लोगों का ध्यान भटकाने का......
खैर ,भटकाने के भी अपने मजे हैं, आजकल पब्लिक को जो व्यक्ति जितना भटका दे वो उतना बड़ा नेता बन जाता है। फिलहाल देश में बेरोजगारी चरम पर है, कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं, टेस्ट कम होते जा रहे हैं, सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति पहले की तरह बहाल है। आये दिन 'ऑल पार्टी मीटिंग' होती है लेकिन कमोबेश हर राज्य में ऑल पार्टी की एक ही कहानी है। लोगों का ध्यान नहीं भटकेगा तो वो सवाल करेंगे, हक मांगेंगे। लेकिन राजनीति में सबसे जरूरी है -भटकाव, वैसे पार्टियों से कद्दावर नेता भी तो भटकने लगते हैं फिर ये आम लोगो के मुद्दे क्या ही चीज हैं।
मुद्दा यह है कि लाखों प्रयोगों की तरह यह दवा भी एक प्रयोग मात्र है, दवा है तो दावे भी हैं। लेकिन इस औषधि को जबतक प्रामाणिक नहीं माना जाता, इसकी न मार्केटिंग हो सकती और न ही प्रचार और अब दावे भी नहीं, इसपर रोक लगी है।
आयुर्वेदाचार्य हैं, अच्छी बात है खोज कर रहे हैं, असरदार हुई तो गौरवान्वित महसूस कीजियेगा, नाकाम हुई तो ठंडे बस्ते में जानी ही है, फजीहत होगी सो अलग, आगे से लोगों का मोह भंग भी होगा। मुद्दा भी खत्म हो जाएगा।
"सब्र कीजिये, सब्र का फल मीठा होता है। प्रार्थना कीजिये इस औषधि वाले सब्र में भी मीठा फल मिले, न भी मिले तो दूसरा फल खाने का विकल्प भी आएगा। वैसे मीठा फल आम भी होता है, आम का सीजन भी चल रहा है। खूब फल खाइये.. फल से इम्युनिटी भी तो बढ़ती है, इम्युनिटी बढ़ने से कोरोना से लड़ाई में सबसे अधिक सहायता मिलती है। सहायता उनकी भी कीजिये जो बाहर से आये हैं, जो असहाय हैं। औषधि बनाने वाले बाबा भी अभी असहाय हो गए हैं, जिन्होंने उनके लिए रिसर्च किये वो भी पीछे हट रहे हैं। गलवान से दोनों सेना भी पीछे हट चुकी है, उधर थोड़ी शांति हुई है। लेकिन असल शांति घर में परिवार के साथ मिलती है। परिवार इम्पोर्टेन्ट है, इम्पोर्टेन्ट घर में रहना भी है। इसलिए, घर में रहिये... सुरक्षित रहिये।"
(-कड़क मिज़ाज, आलोक चटर्जी)
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That's why we eagerly wait for your articles sir..big fan of your words.��
ReplyDeleteIt's a pleasure to have such positive readers like you Shweta. Keep reading Kadak Mijaji and stay connected with us. Thankyou
DeleteVery true in this present situation we wish this medicine may be effective
ReplyDeletethankyou very much for your response Dheeraj. Keep reading Kadak Mijaji and stay connected with us. Thankyou
DeleteOnce again..Mind blowing
ReplyDeleteall our readers are mind blowing Seema..Keep reading Kadak Mijaji and stay connected with us. Thankyou
DeleteEk number aapka lekh bahut hi rochak hota hai or facts pe
ReplyDeleteIt's a pleasure to have such readers like you dear..Keep reading Kadak Mijaji and stay connected with us. Thankyou
Deleteअसल शांति घर में परिवार के साथ मिलती है। परिवार इम्पोर्टेन्ट है, इम्पोर्टेन्ट घर में रहना भी है। इसलिए, घर में रहिये... सुरक्षित रहिये।"......������
ReplyDeletethankyou very much for your response, Keep reading Kadak Mijaji and stay connected with us. Thankyou
DeleteSir you are great
ReplyDeleteall the readers like you are great dear who motivte us to write more effectively. Keep reading Kadak Mijaji and stay connected with us. Thankyou
DeleteSahi kaha media ko episode mil jata hai 4 logo ko bithakar bina matlab chillane ka sach likha hai aapne hamlogo ko wait karna chahiye
ReplyDeleteright mam
Deletestop watching such news channels..Read Kadak Mijaji, be kadak...thankyou
Deletelekhak ke niji vichar mere vichar bhi h bahut acha likha h
ReplyDeleteFair and lovely se kaun sa gore hoti hai ladki nahi hoga asar to nahi khayenge dawai kam se kam moorakh to nahi banenge
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