दूसरा राष्ट्र गान यहाँ है। 2010 से ही है पर आपको खबर भी नही है।
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मैं सिर्फ भाषण नहीं दूंगा, राशन भी दूंगा,
पीने का साफ पानी भी दूंगा,
सड़कों का जाल बिछा दूंगा ,
कोई गरीब नहीं होगा ,
कोई फुटपाथ पर नहीं सोएगा ,
हिंदुस्तान को चांद पर पहुंचा दूंगा ।
हो सकता है आपको लगे कि यह पंक्तियां पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा कही गई हो। पर ऐसा नहीं है। यह पंक्तियां 2014 की नहीं है यह पंक्तियां है 2010 में प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित, अक्षय कुमार तथा तृषा कृष्णन द्वारा अभिनीत फिल्म Khatta Meetha के एक गाने बुलशिट की। जी हां आपने सही सुना bullshit। बैल का गूँ जो किसी काम का नहीं होता ।
इस गाने को लिखा एवं गाया है शहजाद रॉय ने। शहजाद उन दूरदर्शी लोगों में से एक हैं जिन्होंने 2010 में ही तब से लेकर शतकों तक के सूरत-ए-हाल का अंदाजा लगा दिया था । बहर हाल यह गाना भारतीय राजनीति को सटीक रूप से परिभाषित करता है। अपने पहले अंतरे में ही शहजाद भारतीय चुनावों के वक्त के जुमलों पर चोट करते हुए नज़र आते हैं । अगर आजादी से अब तक हुए चुनावों के सभी दलों के मेनिफेस्टो को देखा जाए तो हम पाएंगे कि अगर दलों द्वारा किए गए सभी वादे पूरे हो जाते तो शायद हम ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में इतने पीछे नहीं होते । हमारी जीडीपी इतनी कम नहीं होती (नोट : हमारी जीडीपी पाकिस्तान से अच्छी है)
अक्षय कुमार को नेताजी के इस भाषण से एलर्जी होती है नेताजी को टोकते हैं गला खराश करके । नेताजी पूछते हैं, क्या हुआ? अक्षय बोलते हैं आई एम एलर्जटिक टू बुलशिट।
हमें भी एलर्जी होना चाहिए। नेता जी के बेतुके चुनावी जुमलों से, उनके बेतुके भाषण से आगे के बोल कुछ यूं है।
मंतरी जी का भाषण, bullshit
देगा सबको ये राशन, bullshit
पिएँगे हम साफ पानी, bullshit
Bullshit bullshit bullshit
अब आप ही बताइए यह चीजें बुलशिट है कि नहीं ,आगे की पंक्ति सुनिए।
अपने हाथ में दम है रे,
अपनी लात में दम है रे
हम क्या किसी से कम है
किसी से कम है रे,
सुन बे मेरे देश के काँटे,
क्यू तू मेरे देश को बाँटे
चाँस मिले तो पल में
यारों बेच दे जनता सारी
सुन बे मेरे देश के काँटे,
क्यू तू मेरे देश को बाँटे
चाँस मिले तो पल में
यारों बेच दे जनता सारी,
ऊपर वाली लाइन में अगर एक टका झूठ मिले तो आगे मत पढ़ना । देश एक परिवार की तरह परिवार को चलाने के लिए कुछ नियम कायदे होते हैं हमने उन नियम-कायदों को संविधान की तरह बनाएं। तथा देश में जैसे परिवार का मुखिया होता है उस तरह नेताओं को तैनात किया । लेकिन क्या हम अपने परिवार में धोखा देते हैं ?तो फिर यह नेता क्यों ऐसा करते हैं ? उन्हें जो जिम्मेदारी मिलती है उसे इस तरह क्यों लेते हैं कि हमने जनता को मूर्ख बना दिया ।
आगे के बोल।
बुजुर्गों ने मुझसे पूछा
देश कैसे ये चलेगा
पहले तो मैं कुछ ना बोला,
थोड़ा सोचा,
बुजुर्गों ने मुझसे पूछा
देश कैसे ये चलेगा
बुजुर्गों से मैं यह बोला…
मुझे फिकर यह नही की
यह देश कैसे चलेगा
मुझे फिकर यह है के
कहीं यर ऐसे ही ना चलता रहे।
आगे के बोल।।।।।
मुझसे बोले मंत्रीजी
देश में है बोलने की
पूरी पूरी हर किसी को फुल आजादी
मंत्रीजी से मैं बोला…
यहाँ बोलने की आज़ादी तो है
पर बोलने के बाद आज़ादी नही है
सड़क और ब्रिज बनेंगे, बुल शीट
ट्रफ़िक में नही फसेंगे, बुल शीट
वक़्त पे काम होंगे, बुल शीट
बुल शीट, बुल शीट, बुल शीट
कुल मिलाकर यह गाना राष्ट्रगान के बाद दूसरा गाना होना चाहिए जिसे देश में हर किसी के जुबान पर चढ़ जाना चाहिए । क्योंकि आपको अपने देश के चोरों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। और क्योंकि यह गाना उनके चरित्र का पूरा चित्रण करता है अतः यह गाना अगला नेशनल चुनावी एंथम भी होना चाहिए।
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