आज सुनिए पकौड़े की व्यथा।
सौजन्य- प्रधानमंत्री Narendra Modi जी
चलो पकौड़ा बेचा जाए
चलो पकौड़ा बेचा जाए।
पढ-लिखने की क्या जरूरत
रोजगार की सुन्दर सूरत
दो सौ रोज कमाया जाए
दिन भर मौज मनाया जाए
कुछ भी नही अब सोचा जाए
चलो पकौड़ा बेचा जाए ।।
लिखने पढने की ऐसी तैसी
छीले घास, चराए भैसी
फीस फास का संकट नाही
इस्कूल की झंझट नाही
क्यों न ठेला खिंचा जाए
चलो पकौड़ा बेचा जाए।
चाय बेच कर पीएम बनिए
पक्का है न डीएम बनिए
अनपढ रहिए मजे में रहिए
ठेला लेकर घर घर घूमिए
सटिक उपाय है सोचा जाए
चलो पकौड़ा बेचा जाए।।
रोजगार का नया तरीका
कितना सुंदर भव्य सलीका
क्या मतलब है डिग्री डिगरा
फर्जी है यह सारा रगरा
फिर क्यों माथा खपाया जाए
चलो पकौड़ा बेचा जाए ।।
मन की बात सुना खुब भैया
उनकी बात गुणी खुब भैया
पर आज ही सच्ची राह दिखाए
रोजगार का अर्थ बताए
ठेला चलो लगाया जाए
चलो पकौड़ा बेचा जाए ।।
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