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Thursday, June 28, 2018

दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के बीच ये लेख पढ़ा जाना बेहद जरूरी है।


यकीन मानिए विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में आप टुच्चे भर के प्यादे भी नहीं है। आपको लगता है कि आपका मत सरकार बदलता है या बनाये रखता है। पर आप गलत हैं। यह पूरा का पूरा माजरा केवल और केवल आप को मूर्ख बनाने का है। उपलब्धि केवल इस बात पर निर्भर करती है कि किस सरकार ने कितनी सफाई से आप को मूर्ख बनाया।  कि आपको पता भी ना चला और आप मूर्ख बनकर मूकदर्शक बने रहे और सरकार की पीठ थपथपाते रहे। जिस सरकार का पर्दाफाश हो जाता है कि उसने जनता को मूर्ख बनाया या लूटा , वो गिर जाती है। जिस सरकार पर लोगों को अंदाजा भी नहीं होता कि उसने मूर्ख बनाया है, जनता को ठगा है। वो सरकार रह जाती है। वर्तमान सरकार भी यही कर रही है।


                वर्तमान सरकार बिल्कुल उस जादूगर की तरह है , जो बच्चों के सामने हाथ की सफाई दिखाता है और बच्चा ताली पीटता हुआ समझता है कि वाह जादू हो गया। पर वह जादू नहीं करता , केवल और केवल बच्चे को मूर्ख बनाता है।
 कहने को तो इन 4 सालों में बहुत से ऐसे मुद्दे हैं जिन पर घंटों या दिनों तक चर्चा की जा सकती है, बिना किसी निष्कर्ष के । पर आज मुख्यतः किसानों की बात करूंगा। क्योंकि जून जुलाई महीने के साथ ही पहली खरीक फसल लगाने का वक्त आ गया है। तो इस वक्त किसानों की बात शुरू होगी, साथ ही 2019 में होने वाले चुनाव जैसे जैसे नजदीक आएंगे। वैसे वैसे किसान गरीब वंचित और महिलाओं की बात जोर पकड़ने लगेगी। फिलहाल आज बात किसानों पर केंद्रित रखते हैं।

          वर्तमान मोदी सरकार ने अपने चौथे बजट में एम०एस०पी०(MSP) को डेढ़ गुना करने का निर्णय लिया था। MSP अर्थात मिनिमम सपोर्ट प्राइस, अर्थात न्यूनतम समर्थन मूल्य। संसद के साथ ही सरकार ने कई सार्वजनिक मंच से चुनावी सभाओं में यह तक ऐलान कर दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करने के साथ साथ सरकार 2022 तक किसानों की आय भी दोगुनी करके रहेगी। उसके पूर्व स्वामीनाथन कमेटी ने अपनी सिफारिशें सरकार को दी,जिसमें किस तरह से किसानों की आय दोगुनी तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुनी की जाए यह बताया गया था।

                 इन चीजों के बीच जो सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है वह है कि आखिर न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है या इसे कैसे तय किया जाता है। वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के दो तरीके हैं। पहला है A2, जिसके अंतर्गत खाद, बीज , पानी और कीटनाशक के मूल्य होते हैं। वही दूसरा है A2+FL , जिसके अंतर्गत A2 की सारी चीजो के मूल्य होते हैं उसके अलावा किसान और उसके परिवार की मजदूरी भी दी जाती है। इसे ही प्रति हेक्टेयर में बाँट क्र , न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है।
 परंतु स्वामीनाथन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इसके अलावा एक तीसरे विकल्प की सिफारिश की है। जिसके अनुसार किसान के फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य C2 के आधार पर तय हो। जिसके अंतर्गत A2 और FL दोनों आए इसके अलावा किसान को उसके जमीन का किराया, मशीनों का किराया और किसान ने जो अब तक अपनी लागत लगाई है उस पर ब्याज भी दिया जाए। जो कि कहीं से भी नाजायज नहीं लगता है। स्वामीनाथन कमेटी ने कई सर्वे तथा जमीनी हकीकत को देखते हुए यह रिपोर्ट सरकार के पास पेश की थी।

 इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कई चुनावी रैलियों में अपनी पीठ थपथपाई और किसानों के लिए कई सारे वादे कर दिए। पर सरकार C2 का वादा तो करती है परंतु वह भी जानती है कि अगर C2 वास्तविकता में लागू हो गया तो सरकारी खजाने पर अरबों रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जो सरकार के ही सर पर आ जाएगा। और अगर वह C2 छोड़कर पूर्व की तरह से A2+FL पर जाती है और इस आधार पर ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होता है तो सरकार अपनी ही बात नकारते करते हुए इसे एक और जुमला घोषित कर देगी। इससे किसानों में रोष के साथ साथ सरकार की किरकिरी भी होनी तय है।
इसके अलावा खुलासे के तौर पर एक और सच सुनिये जो मोदी सरकार का दोहरा रवैया दिखाता है। सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू न करने का हलफनामा तक दायर कर दिया है। सरकार का कहना है कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य ज्यादा तय की गई तो कृषि उत्पादों का भाव बढ़ेगा। जिस कारण से देश में महंगाई बढ़ेगी । एक तरफ सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है वहीं दूसरी तरफ सरकार स्वामीनाथन कमिटी की सिफारिशों को लागू करने पर राजी नहीं हो रही है। ऐसे में सरकार का दोहरा रवैया दिखता है जिसमें उसके दिखाने के दांत कुछ और है तथा खाने के कुछ और प्रतीत होते हैं।
मतलब और मंशा साफ है कि महंगाई घटाने के लिए सरकार NPA पर काम नही करेगी, रईसों से लोन वसूली नही करेगी। लेकिन सरकार की नज़र में किसानों की आय ही महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है , जिसे वो बढ़ने नही देगी।
इसके बावजूद अगर आप किसान के पक्ष में खड़े न होकर सरकार का बचाव ही करते हैं तो आप देशद्रोही है, और मैं इसका  आपको बाकायदा सर्टिफिकेट तक दे सकता हूँ।
"भारत माता की जय"

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