दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में बताया कि राजधानी में कोरोनावायरस के ऐसे 186 केस सामने आए हैं जो एसिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) थे। उऩमें बुखार, खांसी या सांस लेने जैसी कोई तकलीफ नहीं दिखी जो आमतौर पर कोरोनावायरस संक्रमण की पहचान करने में मदद करते हैं। इसके बाद मुंबई में करीब 53 मीडियाकर्मी कोरोना से संक्रमित पाए जाते हैं, वो भी एसिम्प्टोमैटिक!
यहां हम आपको कोरोना के बढ़ते मामले नहीं बता रहे हैं। हम आपका ध्यान इस तरह के पैटर्न वाले केसेज़ की ओर लाना चाहते हैं। सरकार द्वारा जारी की गई जितनी भी गाइडलाइन्स हैं उनमें आपको घर पर रहकर कोरोनावायरस के लक्षण की पहचान कर उन लोगों से दूरी बनाए रखने को कहा गया है। लेकिन उन केसेज़ का क्या जिनमें कोई लक्षण ही नहीं है। आपके बगल में खड़ा व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है उससे आप संक्रमित हो रहे हैं, इसके बाद आप अपने आस-पास के लोगों को संक्रमित कर रहे हैं.. ये सब तब और बुरा है जब ये सब आपको मालूम ही नहीं की ये हो रहा है।
भारत सरकार ने मंगलवार को घोषणा की है कि वह टेलीफोनिक सर्वे का आयोजन करेगी। इसके तहत देश के हर नागरिक को उनके मोबाइल फोन पर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा 1921 नंबर से फोन कॉल आएंगे।
क्या सरकार का ये निर्णय प्रभावपूर्ण साबित होगा? एक आसान सी चीज़ समझते हैं। भारत में कोरोना संक्रमण के अनियंत्रित होने का एक मुख्य कारण है कि संक्रमित लोगोंं ने इस मामले में सरकार को जानकारी नहीं दी और आराम से देश में संक्रमण को लेकर घूमते रहे। इसके पीछे का अगर छोटा सा पहलू देखेंगे तो हम ये समझ सकेंगे उन्होंने ऐसा क्यों किया। वो अपने परिवार के साथ रहना चाहते थे, वो किसी कैंप के किसी आइसोलेशन वॉर्ड में कैद रहने के बजाय जैसे हैं वैसे ही रहना चाहते थे। आइसोलेशन कैंप-अस्पतालों से मरीजों की भागने की वजह भी यही है।
अब बात करते हैं उस फोन कॉल की जो सरकार हमें करेगी। क्या आप या कुछ समझदार लोग कोरोना को लेकर गलत जानकारी देंगे? ऐसा नहीं लगता जिन्हें खुद की और अपने परिवार की फिक्र होगी वो ऐसा करेंगे। लेकिन हम और आप अनजाने में ऐसा जरूर कर सकते हैं। जिनमें खुद कोई लक्षण नहीं होंगे वो दूसरों को क्या बता पाएंगे अपने लक्षणों के बारे में। वो जो आइसोलेशन से भाग रहे हैं क्या वो देंगे सरकार को सही जानकारी? वो जो शुरुआत में ही इसे फैलाने से रोक सकते थे क्या वो बताएंगे सरकार को फोन पर अपनी ट्रैवल हिस्ट्री? इस सबसे ज़्यादा खतरनाक है सरकार की तैयारी।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्रों में रैपिड टेस्टिंग किट्स में खामियों की शिकायत मिलने के बाद राज्यों को दो दिनों के लिए टेस्ट रोकने को कहा गया है।
अगर इन किट्स में खामियां थीं तो अब तक कितने टेस्ट रिज़ल्ट्स इससे प्रभावित हुए होंगे। ये जांच का विषय है जो आप या हम नहीं कर सकते। इसकी जांच वही सरकार करेगी जिन्होंने इन किट्स को उपयोग में लाना शुरु किया था।
इस पूरे मामले के अगर निष्कर्श पर आएं तो एक ही समाधान है.. मास टेस्टिंग/डोर-टू-डोर टेस्टिंग। जब तक हम मामलों का पता नहीं लगाएंगे तब तक इस महामारी को रोका नहीं जा सकता। और मामलों का पता लगाने के लिए सख्त नियम अपना कर टेस्टिंग ज़रुरी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस ने भी यही कहा है- लॉकडाउन आपको कोरोना से नहीं बचा सकता, ये सिर्फ आपको लड़ने के लिए समय दे सकता है। जब तक आप टेस्टिंग कर केसेज़ का पता नहीं लगाएंगे तब तक आप इस महामारी को नहीं रोक पाएंगे।